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लोकसभा में पास हुआ महामारी संशोधन विधेयक

लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले 3-4 वर्षों से हमारी सरकार लगातार महामारी जैसे विषयों से निपटने के बारे में समग्र एवं समावेशी पहल अपना रही है।’’

संसद ने सोमवार को महामारी (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसमें महामारियों से जूझने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को संरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है।  लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले 3-4 वर्षों से हमारी सरकार लगातार महामारी जैसे विषयों से निपटने के बारे में समग्र एवं समावेशी पहल अपना रही है।’’ 
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘ इस दिशा में सरकार ‘राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम’ बनाने पर काम कर रही है।’’  उन्होंने कहा कि इस बारे में विधि विभाग ने राज्यों के विचार जानने का सुझाव दिया था।  केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘पहले दो वर्षों में हमें सिर्फ चार राज्यों मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, गोवा और हिमाचल प्रदेश से सुझाव मिले। अभी हमारे पास 14 राज्यों से सुझाव आ चुके हैं।’’ 
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम बनाने की प्रक्रिया जारी है।  उन्होंने वायरस पर शोध के संबंध में जीनोम श्रृंखला तैयार करने सहित कई अन्य कार्यों का उल्लेख किया।  उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर कोविड के खिलाफ अभियान चलाया। प्रधानमंत्री ने स्वयं कई बार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद किया। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए सोमवार को इसे मंजूरी दी।
उच्च सदन ने कुछ दिन पहले महामारी (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी थी।  यह विधेयक संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया। इस संबंध में अध्यादेश अप्रैल में जारी किया गया था।  उल्लेखनीय है कि इस विधेयक के माध्यम से महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन किया गया है। इसमें महामारियों से जूझने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को संरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही, विधेयक में बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार की शक्तियों में विस्तार करने का भी प्रावधान है। 
इसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों के जीवन को नुकसान, चोट, क्षति या खतरा पहुंचाने कर्तव्यों का पालन करने में बाधा उत्पन्न करने और स्वास्थ्य सेवा कर्मी की संपत्ति या दस्तावेजों को नुकसान या क्षति पहुंचाने पर जुर्माने और दंड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अधिकतम पांच लाख रूपये तक जुर्माना और अधिकतम सात साल तक सजा का प्रावधान किया गया है। 
निचले सदन में विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश ने कहा कि यह सरकार डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों और आशा कर्मियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही, जबकि उन्हें ‘‘कोरोना योद्धा’’ कहती है।  उन्होंने हालांकि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्री और उनकी टीम द्वारा रात-दिन किये गये परिश्रम की सराहना की।  उन्होंने कहा कि डॉक्टरों और अर्द्धचिकित्साकर्मियों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। 

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