चंडीगढ़: मानसून हर साल आता है और सिंचाई विभाग को मानसून से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के लिए तैयार रहना होता है, पर समस्या तो यह है पंजाब के सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत पूरा समय रेत के व्यापार पर लगा रहे हैं, चाहे वो अवैध खनन हो या फिर अपने आपको जस्टिस नारंग कमीशन से क्लीन चिट दिलवाना हो। ऐसे में मानसून के खतरे से निपटने के लिए ङ्क्षसचाई विभाग को चुस्त दुरुस्त करने का राणा गुरजीत के पास समय ही नहीं है। समय होता तो किसानों के हजारों एकड़ खेत जलमगन न होते और किसान जो कि पहले से ही कांग्रेस की वायदा खिलाफी की मार को झेल रहा है अब मंत्रियों की विभागीय लापरवाही के कारण से बर्बाद न होता।
यह कहना है केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी पंजाब के अध्यक्ष विजय सांपला का, इस मौके उनके साथ भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना, राष्ट्रीय सचिव तरूण चुघ, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रो. राजिन्द्र भंडारी व अश्वनी शर्मा, प्रदेश महासचिव मनजीत सिंह राय व प्रदेश सचिव विनीत जोशी भी मौजूद थे, जो कि कैप्टन सरकार के पांच महीने की रिपोर्ट पेश कर रहे थे। सांपला ने कहा कि राणा गुरजीत अगर अपने विभागीय कार्य के प्रति गंभीर होते तो मानसून के खतरे को देखते हुए एक माह पहले प्रदेशभर में फैली 1500 किलोमीटर लंबी ड्रेनों को साफ करवाते। इतना ही नहीं जिस जगह पर नदियों-नहरों से बाढ़ आती है, वहां रोकथाम के प्रबंध समय से पहले सुनिश्चित करते तथा जिन निचले क्षेत्रों में बरसाती पानी एकत्रित हो जाता है, उसकी निकासी के प्रबंधों को एडवांस में सुनिश्चत करते। इन सभी के लिए सिंचाई मंत्री ने समय दिया होता तो बेचारे किसान खमियाजा न झेल रहे होते।
किसान पहले ही कांग्रेस की वायदा खिलाफी की मार को झेल रहा है और अब सरकार के मंत्रियों द्वारा विभागीय कार्यों में रूचि न लेना किसानों पर कहर बन बरपा है। भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री को सुचेत करते हुए कि वह तुरंत अपने चुनावी वायदे अनुसार 20 हजार प्रति एकड़ मुआवजा किसानों को दे। हम तो कहते ही थे कि कैप्टन द्वारा पूर्ण कर्जा माफी न करने के कारण से किसान आत्महत्या कर रहे हैं, पर अब तहसील अजनाला के गांव तेड़ाकलां के किसान मेजर सिंह ने अपने सुसाइड नोट में कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराकर सब स्पष्ट कर दिया है। सांपला ने कहा कि कैप्टन सरकार ने पंजाब में सभी वर्गों को धोखे में रखा है, सरकार न तो युवाओं को अभी तक स्मार्ट फोन दिए तथा ना ही नौकरी तथा ना ही बेघर दलित को कोई घर अलाट किया।
(उमा शर्मा)