नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केन्द्र के वार्ता के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को एक बैठक बुलाई है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सोमवार को कोविड-19 और ठंड का हवाला देते हुए किसान संगठनों के नेताओं को तीन दिसम्बर की बजाय मंगलवार को ही बातचीत के लिए बुलाया था।
इस बीच मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार किसान संगठनों से आज दोपहर तीन बजे बातचीत करेगी। वहीं केंद्र सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की अगुवाई करेंगे। इस दौरान उनके साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
पंजाब किसान संघर्ष कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी सुखविंदर एस. सभ्रान ने कहा कि देश में करीब 500 किसान संगठन आज कृषि कानून पर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार ने 32 संगठनों को ही बातचीत के लिए बुलाया है। उन्होंने कहा कि जब तक सभी को नहीं बुलाया जाएगा, हम नहीं जाएंगे। दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि वो सभी संगठनों से बात करने के बाद ही सरकार से बातचीत करने का सोचेंगे।
किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी पंजाब के महासचिव ने कहा कि कल देर रात सरकार से चिट्ठी आई जिसमें पंजाब के 32 किसान संगठनों को बातचीत का न्योता दिया गया। देश के सभी संगठनों को बुलावा नहीं भेजा गया,ये देश के किसानों में फूट डालने वाली बात है। हमने बैठक में नहीं जाने का फैसला किया है। बातचीत से पहले प्रधानमंत्री जी ने फैसला सुना दिया है कि हमारे कृषि कानून बहुत बढ़िया हैं तो इस तरह के माहौल में बातचीत का अंदाजा हमें लग गया है।
किसान नेता बलजीत सिंह महल ने कहा, ‘‘ केन्द्र का प्रस्ताव स्वीकार करें या नहीं, इस पर चर्चा के लिए हम आज एक बैठक कर रहे हैं।’’ केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली से लगे सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को लगातार छठे दिन डटे हैं। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।
तोमर ने सोमवार को कहा था, ‘‘ कोविड-19 और ठंड के मद्देनजर, हमने किसान संगठनों के नेताओं को पूर्वनिर्धारित तीन दिसम्बर की बैठक से पहले चर्चा के लिए आमंत्रित किया है।’’ उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसम्बर को राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में अपराह्न तीन बजे बुलायी गयी है।
उन्होंने बताया कि 13 नवम्बर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है। किसानों ने सोमवार को कहा था कि वे ‘‘निर्णायक लड़ाई’’ के लिए दिल्ली आए हैं और साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से उनकी ‘‘मन की बात’’ सुनने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।