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कृषि वानिकी से बढ़ेगी किसानों की आय

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पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों की आमदनी की अनिश्चितता की भरपाई के लिए कृषि वानिकी के विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि उनकी आय बढ़ने के लिए शीघ्र कृषि वानिकी नीति बनाई जाएगी। श्री कुमार ने यहां कृषि वानिकी समागम का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि उनकी सरकार का यह प्रयास है कि किसानों को फसलों से होने वाली आमदनी में जो अनिश्चितता बनी रहती है उसकी भरपाई कृषि वानिकी के माध्यम से हो।

फसल के साथ ही किसान पेड़ पौधे लगाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी को विस्तार देने और कृषकों की आय बढ़ाने के लिए शीघ्र ही कृषि वानिकी नीति बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में विमर्श का आयोजन किया गया है, जिससे कृषि वानिकी नीति तैयार करने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रथम कृषि रोडमैप (2008-12), द्वितीय कृषि रोडमैप (2012-17) और तृतीय कृषि रोड मैप (2017-22) को तैयार करने के पहले सभी विशेषज्ञों एवं किसानों से विमर्श किया गया था।

कृषि रोडमैप में कृषि से संबंधित सभी क्षेत्रों को समाहित किया गया है। प्रथम कृषि रोड मैप से बिहार राज्य में उपज एवं उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ा है। द्वितीय कृषि रोडमैप में पर्यावरण एवं वन के संरक्षण एवं विस्तार को इसका प्रमुख हिस्सा बनाया गया है। श्री कुमार ने कहा कि इस समागम में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने में आने वाली कठिनाईयों के बारे में विचार सामने आएंगे।

पेड़ की बिक्री, बाजारों तक सुलभ पहुंच एवं अन्य कठिनाइयों के बारे में सुझाव आएंगे और उसके बाद नीति बनाने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि बिहार में वन क्षेत्र काफी कम है। देश के क्षेत्रफल का 3.6 प्रतिशत हिस्सा बिहार का है जबकि देश की आबादी का 8.6 प्रतिशत हिस्सा यहां निवास करता है। आम धारणा है कि मैदानी क्षेत्र में 20 प्रतिशत वन क्षेत्र होना चाहिए। लेकिन, राज्य में उस लिहाज से जमीन की कमी है।

राज्य में वन क्षेत्र आठ प्रतिशत से कम था। बंटवारे के बाद बिहार में राज्य के बिहार-झारखंड के सीमवर्ती जिले एवं चंपारण इलाके में ही वन क्षेत्र रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हरित आवरण बढ़ने के लिए सरकार ने काफी काम किया है। पहले जब सर्वे कराया गया था तो यह करीब 9.7 प्रतिशत था, जिसे 2017 में 15 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके लिए हरियाली मिशन की शुरुआत की गई।

सड़क के दोनों तरफ, बांध, नहर, सार्वजनिक स्थलों एवं सरकारी आवास के आस पास वृक्ष लगाये गये। उन्होंने कहा कि 15 प्रतिशत का लक्ष्य लगभग हासिल कर लिया गया है। नये कृषि रोड मैप में अब यह लक्ष्य 17 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। कृषि वानिकी के लिये लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। साथ ही पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में सुविधा होगी। श्री कुमार ने कहा कि पॉप्लर वृक्ष के साथ-साथ अनेक प्रकार के पेड़ लगाए जा रहे हैं। बांस लगाने की भी संभावना बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में चीन दौरे पर उन्होंने 300 किलोमीटर की सड़क यात्रा की थी, जिसमें पॉप्लर के अलग-अलग आकार के पौधे दोनों किनारे लगे हुए थे।

इन पौधों के उपयोग के बारे में लोगों ने बताया कि इससे कागज बनाने की जरूरतों को पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलित होने से वर्षा के अंतर को कम किया जा सकता है जिससे खेती करने वाले किसानों को काफी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि इस विमर्श कार्यक्रम में राज्य के विभन्न भागों से आए हुए किसान अपने विचार एवं समस्याएं रखेंगे। इन सब विचारों को ध्यान में रखकर कृषि वानिकी नीति तैयार होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में औसतन 1200 से 1500 मिलीमीटर वर्षा होती थी लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि प्रदेश में केवल 800 से 900 मिलीमीटर के बीच वर्षा होती है। वर्षापात की गणना कराने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में अतिवृष्टि के कारण बाढ़ नहीं आती बल्कि नेपाल, उत्तराखंड एवं मध्यप्रदेश में वर्षा के कारण बाढ़ आती है। राज्य में बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति बने रहने के लिए पर्यावरण असंतुलन प्रमुख कारण है। ऐसे में वृक्षारोपण के माध्यम से हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाकर पर्यावरण को संतुलित किया जा सकता है।

श्री कुमार ने कहा कि कृषि वानिकी को प्रोत्साहन देने के लिए कई काम किए गए। पौधारोपण के लिए योजना बनी। पौधे की उपलब्धता सुनिश्चित की गई, इसके लिए बाहर से भी पौधा मंगाया गया। भारतीय वन विज्ञान के साथ राज्य के हरित आवरण के आंकलन के लिए समझौता किया गया है।

उन्होंने कहा कि द्वितीय कृषि रोडमैप में 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 18 करोड़ 60 लाख पौधा रोपण किया जा चुका है। कृषि वानिकी के लिए जो छह करोड़ पौधा लगाने का लक्ष्य रखा गया था, उसमें से छह करोड़ 10 लाख पौधे लगाये जा चुके हैं। कृषि वानिकी के अंतर्गत आने वाले पौधे जो प्रतिबंधित थे विमुक्त कर दिए गए हैं और अब उनका विपणन आसानी से हो सकता है।

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