देश में चुनावी माहौल के बीच तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन की हवा धीमी पड़ती नजर आ रही है। ऐसे में एक बार फिर किसान आंदोलन को तेजी देने की कवायद शुरू हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को धरने पर बैठे महीनों बीत चुके हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन को तेज करने की जानकारी देते हुए कहा, आंदोलन अभी आठ महीने और चलाना पड़ेगा। किसान को आंदोलन तो करना ही पड़ेगा, अगर आंदोलन नहीं होगा तो किसानों की जमीन जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान 10 मई तक अपनी गेंहू की फसल काट लेंगे, उसके बाद आंदोलन तेज़ी पकड़ेगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कृषि अर्थशास्त्रियों की तीन सदस्यीय समिति ने बुधवार को तीन कृषि कानूनों पर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर दी है। समिति में भूपिंदर सिंह मान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री, दक्षिण एशिया के निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष और अनिल घणावत, अध्यक्ष, शेतकरी संगठन शामिल हैं। हालांकि भूपिंदर सिंह मान ने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
समिति ने दो महीने के लिए तीन कृषि कानूनों पर कई किसान संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया। समिति ने एपीएमसी के अधिकारियों जैसे अन्य हितधारकों के अलावा कई किसान संगठनों से बात की। कई किसान यूनियन नवंबर के अंत से विभिन्न दिल्ली सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं, और उन्होंने शीर्ष अदालत की नियुक्त समिति के साथ चर्चा करने से इनकार कर दिया था। किसान संघ लगातार तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।