नई दिल्ली: भारत ने रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए पांच अरब डॉलर के एक समझौते पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए। हालांकि अमेरिकी चेतावनी के वाबजूद भारत-रूस के बीच कई महीनों तक संतुलित रूप से आगे बढ़ने के बाद इस करार को अंतिम रूप दिया। दरअसल, अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि रूस के साथ यह खास सौदा करने वाले राष्ट्रों के खिलाफ वह दंडात्मक प्रतिबंध लगाएगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। हालांकि, नई दिल्ली ने काफी संयमित रुख दिखाया है। शायद, अमेरिका के साथ अपने बेदाग संबंधों को कायम रखने की कोशिश के तहत इसने ऐसा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन ने अपने – अपने संबद्ध प्रेस बयानों में एस-400 समझौते का जिक्र नहीं किया। सरकारी अधिकारियों ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की सार्वजनिक घोषणा नहीं की। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस पर रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी ने भारत की ओर से हस्ताक्षर किए हैं।
एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की खासियतें
- एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली एक बार में 36 निशाने भेद सकती है और एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. भारत ने रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए शुक्रवार को इस प्रणाली की खरीद के लिए रूस के साथ सौदे पर हस्ताक्षर किए।
- एस-400 प्रणाली में हर ऊंचाई पर काम करने वाला रडार (डिटेक्टर) और एंटेना पोस्ट के लिए मूवेबल टॉवर भी लगाए जा सकते हैं। यह प्रणाली 600 किलोमीटर तक की दूरी तक लक्ष्यों का पता लगा सकती है और उसकी सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल पांच से 60 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को तबाह कर सकती है।
- वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली में एक युद्धक नियंत्रण चौकी, हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए तीन कॉर्डिनेट जैम-रेजिस्टेंट फेज्ड एैरे रडार, छह-आठ वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स (12 तक ट्रांसपोर्टर लांचर के साथ) और साथ ही एक बहुपयोगी फोर-कॉर्डिनेट इल्यूमिनेशन एंड डिटेक्शन रडार), एक तकनीकी सहायक प्रणाली सहित अन्य लगे हैं।
- 1999 में यह प्रणाली कपुस्तिन यार प्रैक्टिस रेंज (अस्त्रखन क्षेत्र) में रूस के तत्कालीन रक्षा मंत्री इगोर सर्गेयेव के सामने पहली बार प्रदर्शित की गयी थी। 2000 के दशक में सबसे उन्नत वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का परीक्षण किया गया। मिसाइल प्रणाली अप्रैल, 2007 से इस्तेमाल की जा रही है। एस-400 एस-300पीएमयू2 वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स पर आधारित है।
भारत-रूस के बीच हुए समझौते की खास बातें
- एक शीर्ष भारतीय अधिकारी ने बताया, ‘‘अब अनुबंध पर हस्ताक्षर हो चुका है, ऐसे में मैं समय सीमा (भुगतान तंत्र) के जल्द होने का अनुमान करता हूं.’’ अधिकारी ने यह भी कहा कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते एस-400 की सौदेबाजी में लंबा वक्त लगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश की खास रक्षा जरूरत को पूरा करता है और इसलिए सरकार ने इस बारे में फैसला लिया, बिल्कुल राष्ट्रहित में यह किया गया।’’
- समिट के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों देशों ने ‘एस-400 लॉंग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम’ की भारत को आपूर्ति के लिए अनुबंध के निष्कर्ष पर पहुंचने का स्वागत किया है।’’
- रूसी समाचार एजेंसी तास ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की पुष्टि की है. इसने रूसी राष्ट्रपति कार्यालय प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव के हवाले से कहा है, ‘‘यात्रा से इतर इसे पूरा किया गया।’’
- पिछले साल अगस्त में मास्को के खिलाफ वाशिंगटन द्वारा ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट’ (सीएएटीएसए) लगाए जाने के बाद रूस के साथ भारत का यह पहला रक्षा करार है। वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था, ‘‘हम अपने सभी सहयोगी और साझेदार देशों से रूस के साथ ऐसे लेनदेन से दूर रहने का अनुरोध करते हैं जो सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों को आमंत्रित करता हो।’’
- रूस से अरबों डॉलर के एस-400 वायु मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने की भारत की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने यह कहा था। हालांकि, यहां अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सीएएटीएसए मास्को को लक्षित है और इसके सहयोगी एवं साझेदार देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं रखता है।
- 19वें भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में मोदी और पुतिन ने रक्षा, आतंकवाद निरोध, ऊर्जा और अंतरिक्ष सहित अहम क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। मोदी और पुतिन के प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन परियोजना ‘गगनयान’ में सहयोग सहित आठ अन्य समझौतों पर भारत और रूस ने हस्ताक्षर किए।
- मोदी ने पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस कार्यक्रम में कहा कि आज लिए गए फैसले हमारे संबंधों को और बढ़ाएंगे और इस चुनौतीपूर्ण विश्व में शांति एवं स्थिरता बहाल करने में योगदान देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे दोनों देशों को आतंकवाद निरोध, अफगानिस्तान में विकास कार्य और हिंद प्रशांत क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन तथा एससीओ, ब्रिक्स, जी-20 एवं आसियान जैसे संगठनों में सहयोग में साझा हित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने भारत को देश के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ में पूरा सहयोग करने का भी भरोसा दिलाया है।
- वहीं, पुतिन ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद और मादक पदार्थों की बुराई का मुकाबला करने में सहयोग करने के लिए कदम उठाने को राजी हुए। संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि दोनों देश आतंकी नेटवर्क, उनके धन प्राप्त होने के स्रोत, हथियार एवं लड़ाकों के आपूर्ति माध्यमों, आतंकवादी विचारधारा, दुष्प्रचार और भर्ती का खात्मा करने की अपनी कोशिशें समन्वित करने पर भी राजी हुए। उन्होंने सीमा पार से आतंकवाद और आतंकवादियों एवं उनके नेटवर्क को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया किए जाने सहित आतंकवादियों को सभी तरह के सरकारी समर्थन की निंदा की।
- उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान पर सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने और पड़ोसी देशों को निशाना बनाने के लिए अपनी (पाकिस्तानी) सरजमीं पर संचालित होने वाले आंतकी संगठनों की सहायता करने का भारत आरोप लगाता रहा है। सीमा पार से होने वाले आतंकवाद की निंदा करने वाला यह सख्त बयान खासा मायने रखता है क्योंकि भारत के पुराने मित्र रूस की हाल के समय में पाकिस्तान के साथ संबंधों में गर्माहट देखने को मिली है।
- रक्षा समझौते के अलावा अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, रेलवे के क्षेत्र में भी करार किए गए। साथ ही, दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में काफी समय से लंबित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को स्वीकार करने की दिशा में गंभीर कोशिश किए जाने की अपील की।