लंबे समय से वार्षिक राष्ट्रीय बजट का इंतजार लगभग खत्म हो गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने आज आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन में अपना अभिभाषण दिया। इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इकोनॉमी ग्रोथ के अनुमानों के साथ इकोनॉमिक सर्वे 2023 पेश किया गया। आर्थिक सर्वे पेश होने के बाद लोकसभा की कार्यवाही को कल 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया है। 1 फरवरी को वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी।
बजट पूर्व आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। देश की अर्थव्यवस्था 2023-24 में चालू वित्त वर्ष के सात प्रतिशत की तुलना में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। पिछले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही थी।
आपको बता दें कि इसे वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किया गया है और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की देखरेख में यह बनाया गया है।
कल होगा बजट पेश
केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने जा रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी 2023 को बजट पेश करेंगी। इस बीच आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश हुआ। बता दें कि देश का आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) हर साल आम बजट से ठीक एक दिन पहले पेश किया जाता है। इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ये बजट की साफ तस्वीर पेश करता है। ये एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें देश की वित्तीय सेहत के बारे में जानकारी दी जाती है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद ही वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा और 23 फरवरी को समाप्त होगा।
क्यों ख़ास होता है आर्थिक सर्वेक्षण?
बता दें कि हर साल 1 फरवरी के दिन देश का आम बजट पेश किया जाता है। इससे ठीक एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को पेश किया जाता है। इस रिपोर्ट में देश के आर्थिक प्रगति और प्रदर्शन का लेखा -जोखा होता है। इसमें अर्थवयवस्था अर्थव्यवस्था के हालात की जानकारी मिलती है। इसमें अर्थव्यवस्था के मुख्य घटकों जैसे महंगाई दर, बुनियादी ढांचे, कृषि और विदेशी मुद्रा भंडार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में रुझानों का विस्तृत विवरण दिया गया है। इसके अलावा आर्थिक चुनौतियों का भी इसमें विवरण दिया जाता है।
क्या है आर्थिक सर्वेक्षण का इतिहास ?
गौरतलब है कि देश का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था। 1964 से पहले ये बजट का हिस्सा होता था, लेकिन बाद में इसे अलग कर दिया गया और बजट से एक दिन पहले जारी किया जाने लगा। तब से लेकर अब तक यही पंरपरा चली आ रही है।
आर्थिक सर्वेक्षण को दो भागों में बांटा जाता है। एक जिसमें देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति का पूरा विवरण दिया जाता है। दूसरे भाग में स्वास्थ्य, गरीबी, जलवायु परिवर्तन और मानव विकास सूचकांक जैसे विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित होता है।
2024 के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी बजट
इस बार के बजट को काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि 2024 के आम चुनाव से पहले पेश होने वाला ये सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में विपक्ष की इस बजट पर पूरी निगाहें टिकी, जिससे वे मोदी सरकार पर हमला बोल सकें।