राजस्थान का चिकित्सा महकमा इन दिनों अपने यहां कार्यरत मुस्लिम कार्मिकों का विवरण तैयार कराने को लेकर चर्चा में आया हुआ है।
चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ। बीएल सैनी ने सभी जिलों के चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर उनके अधीन कार्य कर रहे मुस्लिम कार्मिकों की गणना कर उसकी सूची भिजवाने को कहा है।
यह पत्र गत तीस नवम्बर को जारी किया गया है जिसमें भारत सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के उप सचिव की ओर से बीस नवम्बर को लिखे गए पत्र का हवाला दिया गया है। डॉ। सैनी के अनुसार उन्होंने केंद्र सरकार के पत्र के निर्देश पर ही प्रदेश में मुस्लिम कार्मिकों की गणना के लिए पत्र लिखा है।
प्रदेश का यह पहला विभाग है जिसमें मुस्लिम कार्मिकों के बारे में आंकड़े एकत्र करवाए जा रहे हैं। इस गणना को लेकर मुस्लिम कार्मिकों में तरह-तरह की आशंकाएं होने लगी है। अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी महासंघ राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हारून खां ने धर्म विशेष के कार्मिकों की गणना को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं।
उनका कहना है कि सरकार का यह आदेश भेदभाव दर्शाने वाला है। ऐसी गणना करवा कर सरकार क्या साबित करना चाहती है। दूसरी ओर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ का कहना है कि सच्चर कमेटी की सिफारिशों में मुस्लिमों के उत्थान के लिए कई बिन्दु बताए गए हैं उन्हीं पर अमल करने के लिए गणना करवाई जा रही है।
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