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किसान आंदोलन को लेकर विदेशी बयानों पर भारत सख्त, कहा-संसद में चर्चा के बाद पास हुआ कानून

मंत्रालय ने कहा है कि जल्दबाजी में कोई भी टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगा लिया जाए। इसके साथ ही भारत ने स्पष्ट किया है कि तीनों कानून संसद में चर्चा के बाद पास हुए हैं।

किसान आंदोलन को लेकर विदेश से लगातार हो रही बयानबाज़ी पर भारत ने अपना दो टूक जवाब दिया है। पॉप स्टार रिहाना ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया था, जिसके बाद विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया सामने आई है। मंत्रालय ने कहा है कि जल्दबाजी में कोई भी टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगा लिया जाए। इसके साथ ही भारत ने स्पष्ट किया है कि तीनों कानून संसद में चर्चा के बाद पास हुए हैं।
विदेश मंत्रालय ने किसान आंदोलन पर विदेशी लोगों एवं संस्थाओं द्वारा की गई टिप्पणियों पर कहा, इन प्रदर्शनों को भारत की लोकतांत्रिक प्रकृति एवं लोकतांत्रिक राजतंत्र के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हम अपील करते हैं कि जल्दबाजी में कोई भी टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगा लिया जाए। खासकर मशहूर हस्तियों के बीच सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग, टिप्पणियों का लोभ न तो उचित है और न ही यह जिम्मेदाराना रवैया है।
मंत्रालय ने कहा, भारत की संसद ने एक पूर्ण बहस और चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानूनों को पारित किया। इन सुधारों ने विस्तारित बाजार पहुंच दी और किसानों को अधिक लचीलापन प्रदान किया। विदेश मंत्रालय का यह जवाब तक आया है जब पॉप सिंगर रिहाना, क्‍लाइमेट एक्टिविस्‍ट ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिकी उपराष्‍ट्रपति कमला हैरिस की रिश्‍तेदार मीना हैरिस ने किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किए हैं।

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में उतरी पॉप स्टार रिहाना

मंत्रालय ने कहा कि भारत के कुछ हिस्सों में किसानों के एक छोटे से वर्ग को इन सुधारों पर कुछ आपत्तियां हैं। प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने उनके प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें कीं। केंद्रीय मंत्री बातचीत में शामिल हैं और अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। सरकार ने कानूनों को लंबित रखने का भी प्रस्ताव किया है और यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री की ओर से आया है। 
मत्रालय ने कहा, इन सबके बावजूद यह बहुत दुर्भाज्ञपूर्ण है कि कुछ तुच्छ स्वार्थी समूह अपना एजेंडा आंदोलनकारियों पर थोपने और आंदोलन को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं। यह चीज़ 26 जनवरी को देश के गणतंत्र दिवस को दिखायी दी। भारत के संविधान के लागू होने की वर्षगांठ पर देश की राजधानी में हिंसा एवं तोड़फोड़ की गयी। इन्हीं स्वार्थी समूहों में से कुछ भारत के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों के उकसावे पर विश्व के कई हिस्सों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को अपवित्र किया गया। यह भारत और विश्व के समस्त सभ्य समाज के लिए बहुत ही दुखद स्थिति है। 
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के पुलिस बल ने बहुत ही संयम से इन प्रदर्शनों का सामना किया। पुलिस में काम करने वाले सैंकड़ों पुरुषों एवं महिलाओं पर शारीरिक हमले किए गए और कुछ मामलों में उन्हें धारदार हथियारों से जख्मी किया गया। हम बताना चाहते हैं कि इन आंदोलनों एवं प्रदर्शनों को भारत की लोकतांत्रिक राजनीति एवं मूल्यों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए तथा सरकार एवं संबंधित किसान समूह इस गतिरोध को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।  

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