जी20 ने भारत को विश्व के लिए और विश्व को भारत के लिए तैयार करने में योगदान दिया : विदेश मंत्री एस जयशंकर

भारत G20 के रूप में ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को उनकी समस्याओं में मदद करना चाहता है। भारत के विदेश मामलों के जयशंकर ने कहा कि इस आयोजन ने
जी20 ने भारत को विश्व के लिए और विश्व को भारत के लिए तैयार करने में योगदान दिया : विदेश मंत्री एस जयशंकर
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भारत G20 के रूप में 'ग्लोबल साउथ' के देशों को उनकी समस्याओं में मदद करना चाहता है। भारत के विदेश मामलों के जयशंकर ने कहा कि इस आयोजन ने भारत को दुनिया की मदद करने के लिए और दुनिया को भारत की मदद के लिए तैयार किया है। जी20 के अध्यक्ष के नाते भारत द्वारा 'ग्लोबल साउथ' की तात्कालिक चिंताओं को दूर करने को प्राथमिकता देने को रेखांकित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि इस आयोजन ने "भारत को विश्व के लिए और विश्व को भारत के लिए तैयार" करने में योगदान दिया है। जी20 शिखर सम्मेलन के परिणामों पर एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि वैश्विक नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि जी20 भू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है लेकिन उनका यह भी मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इसके महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं।
महामारी और आर्थिक व्यवधान से उबर रहे हैं
जयशंकर ने कहा, "उन्होंने (जी20 नेताओं) यूक्रेन में चल रहे युद्ध और विशेष रूप से विकासशील और कम विकासशील देशों पर इसके प्रभाव पर चर्चा की, जो अब भी महामारी और आर्थिक व्यवधान से उबर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भोजन, ईंधन और उर्वरक विशेष चिंता के मुद्दे रहे। जयशंकर ने कहा कि जी20 नेताओं ने आतंकवाद और धनशोधन का मुकाबला करने पर भी चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि नेताओं ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की और माना कि यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। विदेश मंत्री ने कहा कि अफ्रीकी संघ भारत की अध्यक्षता में समूह का सदस्य बना जो उस प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए था कि देश 'ग्लोबल साउथ' की तत्काल चिंताओं को संबोधित करने के लिए देता है।
अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए 125 देशों से परामर्श किया गया था
उन्होंने कहा, "आपको याद होगा कि हमारे अध्यक्षीय कार्यकाल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर, ग्लोबल साउथ की आवाज को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए 125 देशों से परामर्श किया गया था।" जयशंकर ने कहा, "संगठन और कार्यक्रम के संदर्भ में, भारतीय अध्यक्षता, अगर मैं कहूं तो, असाधारण रही है। कार्यक्रम 60 शहरों में हुए हैं जो वास्तव में भारत के कोने-कोने में हैं। इसमें असाधारण स्तर की लोकप्रिय भागीदारी और सामाजिक भागीदारी रही है।"

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