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G20 Summit 2022 : PM मोदी बोले-यूक्रेन में युद्धविराम का रास्ता खोजना होगा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज विश्व को जी-20 से अधिक अपेक्षाएं हैं और समूह की प्रासंगिकता बढ़ गई है। इस सम्मेलन में कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को इंडोनेशिया के बाली में 17वें वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के सत्र को सम्बोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज विश्व को जी-20 से अधिक अपेक्षाएं हैं और समूह की प्रासंगिकता बढ़ गई है। इस सम्मेलन में कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी। 
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड के बाद के लिए एक नई विश्व व्यवस्था बनाने का दायित्व हमारे कंधों पर है। शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाने की आवश्यकता है। विश्वास है कि जब G20 बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि में मिलेंगे, तो हम दुनिया को शांति का एक मजबूत संदेश देने के लिए सहमत होंगे।
वर्ल्ड वॉर 2 ने बरपाया था कहर 
यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैंने हमेशा कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्धविराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का रास्ता खोजना होगा। पिछली सदी में World War II ने दुनिया में कहर बरपाया था जिसके बाद उस समय के नेताओं ने शांति का रास्ता अपनाने का गंभीर प्रयास किया। अब हमारी बारी है। 
प्रधानमंत्री ने कहा, आज की खाद की कमी कल का खाद्य संकट है, जिसका समाधान दुनिया के पास नहीं होगा। हमें खाद और खाद्यान्न दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और सुनिश्चित बनाए रखने के लिए आपसी समझौता करना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत में, स्थायी खाद्य सुरक्षा के लिए, हम प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं और बाजरा जैसे पौष्टिक और पारंपरिक खाद्यान्नों को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं। बाजरा वैश्विक कुपोषण और भूख को भी हल कर सकता है। हम सभी को अगले वर्ष बड़े उत्साह के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाना चाहिए।
पीएम मोदी ने आगे कहा, 2030 तक हमारी आधी बिजली नवीकरणीय ऊर्जा से पैदा होगी। समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए विकासशील देशों को समयबद्ध और किफायती वित्त और प्रौद्योगिकी की सतत आपूर्ति आवश्यक है। वैश्विक विकास के लिए भारत की ऊर्जा-सुरक्षा अहम है, क्योंकि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए। 

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