केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घरेलू बैंकों से बुनियादी ढांचा क्षेत्र की वृद्धि में भागीदारी निभाने का आज अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि कई विदेशी निवेशक हैं जो इस क्षेत्र में निवेश को लेकर गंभीर हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने एसबीआई द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को एक चैक के जरिये 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिये जाने को ऐतिहासिक बताया और कहा कि अटकी पड़ी सभी राजमार्ग परियोजनाएं चालू की गयी हैं।
एनएचएआई ने यहां एक कार्यक्रम में बिना गारंटी वाला दीर्घकालीन कर्ज के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई के साथ गठजोड़ किया है। यह एसबीआई द्वारा किसी एक इकाई को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा बिना गारंटी वाला कर्ज है।
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गडकरी ने कहा, ‘‘भारतीय बैंक प्रणाली और संबंधित पक्षों को बुनियादी ढांचा के विकास में भागीदार बनना चाहिए। क्षेत्र बेहतर आंतरिक रिटर्न के साथ आर्थिक रूप से व्यवहारिक है।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं के लिये वित्त पोषण को लेकर विदेशी और पेंशन कोष के साथ गठजोड़ कर सकते हैं। कई ऐसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक हैं जो सड़क क्षेत्र में निवेश को लेकर गंभीर हैं लेकिन मैं इस बात को तरजीह दूंगा कि अधिक-से-अधिक भारतीय कंपनियां इसमें रूचि लें।’
एनएचएआई को स्टेट बैंक से 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज 10 साल के लिये मिला है। इसमें पहले तीन साल भुगतान नहीं करना होगा। एनएचएआई ने दीर्घकालीन कर्ज के लिये वाणिज्यकि बैंकों से रूचि पत्र आमंत्रित किया था।
प्राधिकरण के अनुसार शुरू के तीन साल में मूल राशि का भुगतान नहीं करना होगा और उसके बाद छमाही आधार पर 14 समान किस्तों में यह राशि लौटानी होगी।
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गडकरी ने कहा कि रूकी पड़ी राजमार्ग परियोजनाओं में से 99 प्रतिशत को आगे बढ़ाया गया है। इनमें 50- 55 परियोजनाओं को हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) के तहत दिया गया है। हालांकि इनके लिये वित्तपोषण की व्यवसथा अभी होनी बाकी है। इस योजना के तहत 40 प्रतिशत राशि सरकार उपलब्ध कराती है जबकि शेष 60 प्रतिशत की व्यवसथा डेवलपर खुद करता है।
गडकरी ने कहा कि सड़क निर्माण की परियोजनायें बनाओ, चलाओ और हसतांतरित करो में चलाई गई लेकिन इनके समक्ष सरकार प्रणाली की वजह से समस्यायें आईं। इन समस्याओं में भूमि अधिग्रहण की समस्या बड़ी रही। इन समस्याओं को नीति में बदलाव कर ठीक किया गया है।