पटना : मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज महात्मा गांधी के चम्पारण आंदोलन-1917 पर आधारित तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया। इन पुस्तकों में श्री अरविंद मोहन द्वारा लिखित ‘मिस्टर एम0के0 गांधी की चम्पारण डायरी’, श्री आशुतोश पारथेश्वर द्वारा संपादित ‘चम्पारण आन्दोलन 1917’ और श्री श्रीकांत द्वारा संकलित एवं सम्पादित ‘पीर मुहम्मद मूनिस : कलम का सत्याग्रही’ शामिल है। अधिवेशन भवन में आयोजित लोकार्पण समारोह में प्रभात प्रकाशन के श्री पीयूश ने मुख्यमंत्री को पुस्तकों का एक सेट भेंटकर उनका स्वागत किया।
लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभात प्रकाशन के द्वारा एक साथ तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया है, यह काफी प्रसन्नता की बात है। उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के मौके पर 10 अप्रैल 2017 से 22 मार्च 2018 तक अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये, जिसका शुभारंभ राष्ट्रीय विमर्श कार्यक्रम से हुआ।
इसको लेकर सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गयी, जिसमे सभी दलों के लोग एवं गांधीवादी विचारक मौजूद थे। उन्होंने कहा कि गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह पर आधारित लोग फिल्म या तस्वीरें तो प्रकाशित करते हैं लेकिन इस बात का ख्याल नहीं रखते कि इस्तेमाल की गई तस्वीरें चंपारण सत्याग्रह से संबंधित है या नहीं। उन्होंने कहा कि आर्काइब, दस्तावेज और डिजिटलाइज करने की बात तो की जाती है लेकिन उस समय का कोई फोटो अब तक उपलब्ध नहीं हो पाया है, जो सचमुच महात्मा गाँधी के चम्पारण दौरे के वक्त ली गयी हो। गांधी जी की उन तस्वीरों की भी तलाश करनी चाहिए, जो चंपारण सत्याग्रह से वाकई संबंधित हैं।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने चंपारण के किसानों को न सिर्फ निलहों के अत्याचार से मुक्ति दिलाई बल्कि वहां के लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता के प्रति भी जागृत किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी इच्छा है कि गांधी जी के विचार घर-घर तक पहुंचे, जिसको लेकर हर घर दस्तक के माध्यम से प्रयास भी किया गया। उन्होंने कहा कि किताबें तो बहुत प्रकाशित होती हैं, आगे भी होगी लेकिन जब गांधी जी के प्रति युवा पीढ़ी में आकर्षण पैदा होगा, तभी वह गांधी जी से जुड़ी किताबों को पढ़ेंगे।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही बापू के विचारों को लोगों ने भुला दिया क्योंकि बापू की यह सोच थी कि विकेंद्रीकृत तरीके से विकास हो जिसमें जनभागीदारी सम्मिलित हो ताकि उसका लाभ हर व्यक्ति को मिले लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर ऐसा हुआ होता तो आज भारत एक आदर्श मुल्क के रूप में शुमार होता।
उन्होंने कहा कि स्कूल के स्तर पर गांधी जी के विचारों को ठीक ढंग से अगर बच्चों के बीच पहुंचा दिया जाए तो नई पीढ़ी बापू के विचारों और संदेशों को अच्छी तरह जान पाएंगे, इसके लिए स्कूलों में कथावाचन भी शुरू किया गया और जो गांधीवादी विचारक या जानकार हैं, उनके द्वारा बापू से संबंधित कई कहानियों की रचना भी कराई गयी है। स्कूलों में प्रार्थना के बाद गांधी जी से संबंधित एक कहानी बच्चों के सामने बताई जाए तो नई युवा पीढ़ी बापू के विचारों को जल्दी समझ पाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि 10 से 15 प्रतिशत युवा पीढ़ी बापू के विचारों को आत्मसात कर ले तो समाज एक नया रूप धारण कर लेगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह से संबंधित जो भी दस्तावेज हैं, उसे शोध संस्थान और अभिलेखागारों में संजोकर सुरक्षित रखने की आवश्यकता है ताकि अगर एक जगह वह नष्ट हो जाए तो दूसरी जगह वह उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के चंपारण दौरे से चंपारण तो सिर्फ एक सांकेतिक केंद्र मात्र बना लेकिन उसका संदेश पूरे देश में गया। 1857 में हुए विद्रोह का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उस विद्रोह में बाबू वीर कुंवर सिंह की जो भूमिका थी, वह काफी अहम थी, जिसको ध्यान में रखते हुए इस साल 3 दिनों (23 से 25 अप्रैल) तक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के कारण आजादी की लड़ाई में जनभागीदारी हुई, जिसका नतीजा यह हुआ कि उसके बाद जगह-जगह पर गांधी जी के नेतृत्व में किसानों और मजदूरों के मुद्दों को लेकर कई आन्दोलन हुए और इसने एक बड़े जन आंदोलन का रूप धारण कर लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि देश चंपारण सत्याग्रह के 30 साल बाद ही आजाद हो गया।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के जन्म दिवस के डेढ़ सौ साल पूरे होने पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास का कई नजरिया आज हमारे सामने है और अब लोगों में इतनी जागृति आ गई है कि यदि कहीं किसी इलाके में विकास की रोशनी नहीं पहुंची है तो लोग इसको लेकर आवाज बुलंद करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में गांधी जी के विचारों के अनुरूप ही विकेंद्रीकृत तरीके से न्याय के साथ विकास का काम लगातार जारी है ताकि उसका फायदा हर व्यक्ति तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि सामाजिक कुरीतियों से छुटकारा पाए बिना विकास का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि गांधी संग्रहालय का बड़ा महत्व है और सरकार ने अपनी तरफ से इसे विकसित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। महात्मा गांधी कहा करते थे कि पृथ्वी जरूरतों को पूरा कर सकती है, लालच को नहीं।
आज हम यह देख रहे हैं कि लोग पर्यावरण की अनदेखी कर इससे लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिसका दुष्परिणाम यह है कि ओलावृष्टि, बाढ़, सुखाड़ जैसी कई समस्याओं से आज हमें जूझना पड़ रहा है। लोकार्पण समारोह में उपस्थित लोगों खासकर पत्रकार और लेखकों से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना के श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में सौरमंडल से संबंधित 40 मिनट की एक फिल्म दिखाई जा रही है, जिसे आज के दौर में हर किसी को देखने की आवश्यकता है। उसे देखकर उन्हें यह एहसास हो जाएगा कि उनका वजूद क्या है।
इसे यू0एस0 टेक्नोलॉजी से लाया गया है, जो भारत में 7वां है। उन्होंने कहा कि धड़ल्ले से लोग पर्यावरण को नष्ट करने में जुटे हैं लेकिन नष्ट कहीं और होता है और उसका दुष्परिणाम कहीं और के लोगों को भुगतना पड़ता है। ऐसे में लेखकों और पत्रकारों को इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि पर्यावरण की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि जब हम सांसद थे तब क्षेत्र भ्रमण के क्रम में हमें अक्सर यह देखने को मिलता था कि लोग बिना हाथ धोए ही खाना खाने लगते थे।
कई बार मेरे समझाने पर लोग हाथ धोकर खाना खाते थे लेकिन आज के बच्चे अपने स्वास्थ्य के प्रति इतने सचेत हो गए हैं कि वह न सिर्फ खुद हाथ धोकर खाना खाते हैं बल्कि अपने परिजनों को भी इसके लिए समझाते हैं, इसके अलावा पेयजल और बिजली की बर्बादी को रोकने के प्रति भी वे सजग हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ किताब छापने से नहीं होगा बल्कि उसे निचले स्तर तक पहुँचाने के साथ ही लोगों को सजग करना पड़ेगा, तभी इसका मकसद पूरा होगा। प्रभात प्रकाशन से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज चंपारण सत्याग्रह पर आधारित जिन तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया गया है, उसकी कीमत में कमी करके उन पुस्तकों को स्कूलों तक भी पहुंचाने की व्यवस्था करें। लोकार्पण समारोह को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी,
गांधी संग्रहालय के अध्यक्ष वरिष्ठ गांधीवादी डॉ0 रजी अहमद, संपादक श्री आशुतोश पारथेश्वर, लेखक श्री अशोक अंशुमान, लेखक एवं पत्रकार श्रीकांत, प्रभात प्रकाशन के श्री पीयूष कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रवीण बागी, पूर्व मंत्री एवं विधान पार्षद श्री अशोक चौधरी, विधान पार्षद श्री रामवचन राय, विधान पार्षद श्री दिलीप चौधरी, विधान पार्षद श्री नीरज कुमार, इतिहास के अध्यापक श्री अशोक अंशुमान, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार सहित कई अन्य पत्रकार, लेखक एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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