कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मजबूत दावेदारी पेश करने वाले अशोक गहलोत चुनाव जीतने के बाद राजस्थान की सत्ता पर नहीं बैठ पाएंगे। राहुल गांधी ने कोच्चि में प्रेसवार्ता के दौरान ‘एक व्यक्ति एक पद’ का संकल्प याद दिलाया। अशोक गहलोत ने राहुल की सलाह के बाद अपने सुर बदलने शुरू कर दिए हैं, कल तक वह सोनिया गांधी के सामने राजस्थान ना छोड़ने की इच्छा जता चुके थे। अब उन्होंने माना है कि दोनों पदों पर एक साथ काम करने से न्याय नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन यदि वह जीतते हैं तो मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देंगे।
अध्यक्ष को पुरे मुल्क में काम करना हैं दो पद पर काम से न्याय नहीं हो सकता हैं
सीएम अशोक गहलोत राहुल गांधी से मिलने के लिए कोच्चि पहुंचे जंहा उन्होंने प्रेसवार्ता की, अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा की दो पद पर बने रहने से न्याय नही होगा, अध्यक्ष को पूरा देखना हैं। एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला यहां लागू नहीं होता है। परंतु कांग्रेस अध्यक्ष कोई बनता है तो वह दो पद पर काम नहीं कर सकता है ना, उसे पूरे देश का देखना होगा। न्याय करने के लिए एक पद पर रहना ज्यादा उचित है।
मुझे कांग्रेस से बहुत कुछ दिया -अशोक गहलोत
अशोक गहलोत ने कहा की मेरी इच्छा पर किसी पद को लेने की नहीं हैं, मै चार दशकों से पार्टी के विभिन्न पदों पर रह चुका हूं ,मेरी इच्छा हैं की मैं बिना किसी पद के राहुल गांधी की यात्रा में शामिल हूं जांऊ। वह बिना किसी पद के पार्टी के सिपाही तौर पर काम करूंगा।
एक बार फिर गहलोत ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने की अपील
सीएम अशोक गहलोत शुरूआत से ही राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने के पक्ष में रहे हैं , लेकिन अगर वह उन्हें मनाने में कामयाब नहीं हुए हैं तो वह पार्टी की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं। आज देश को एक मजबूत विपक्ष की आवश्यकता हैं जो कांग्रेस के बिना नहीं हो सकता हैं। लोकतंत्र खतरे में है। ऐसे वक्त में मजबूत विपक्ष की आवश्यकता है, जो कांग्रेस ही हो सकती है। मैं आखिरी बार उनसे अपील करने आया हूं कि वह नामांकन भरें।”
राजस्थान में सियासी हलचल तेज , पायलट या गहलोत करीबी !
अशोक गहलोत पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान की कुर्सी पर सचिन पायलट को देखना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि दोनों के बीच सियासत में काफी बड़ी तकरार हैं। राजस्थान का सीएम बनने के लिए सचिन पायलट ने पार्टी व सरकार के बगावती शुर अपना लिए थे। इसीलिए गहलोत पायलट को सत्ता ना सौंपकर किसी भी अपने मातहत व्यक्ति को सीएम की कुर्सी पर बैठाना पंसद करते हैं।