कांग्रेस लगातार अपनी समस्याओं से ही नही निकल पा रही हैं, तो एक तरफ अशोक गहलोत भी कांग्रेस में अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। अशोक गहलोत संगठन बनाने में काफी माहिर हैं ,वह कांग्रेस में विभिन्न पदों पर संगठन की कमान संभाल चुके है। 20 साल बाद पहली बार कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव होने हैं जिसके लिए गांधी परिवार अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है। इस बार अध्यक्ष पद के चुनाव में गांधी परिवार से कोई भी व्यक्ति चुनाव के मैदान में नहीं होगा। अशोक गहलोत लगातार राहुल गांधी का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ा रहे हैं, इसके लिए उन्होनें राजस्थान में प्रस्ताव भी पारित कर दिया है।
राहुल को मनाने में जुटे गहलोत
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि वह अब भी राहुल गांधी को मनाने की कोशिश में जुटे हैं कि वह पार्टी अध्यक्ष बनने पर सहमत हो जाएं। अशोक गहलोत 26 तारीख को नामांकन दाखिल कर सकते हैं। अध्यक्ष पद पर चुनाव 17 अक्टूबर को होना है और उससे पहले अशोक गहलोत हर कोशिश कर रहे हैं कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष बनने को राजी हो जाएं।
राहुल गांधी अगर नहीं माने तो, गहलोत का अध्यक्ष बनना तय !
अशोक गहलोत अपनी सीएम की कुर्सी बचाए रखना चाहते हैं, क्योंकि गहलोत केंद्र की राजनीति में ना जाकर जयपुर से ही राजस्थान की सत्ता को बनाए रखना चाहते है। उधर सचिन पायलट लगातार सीएम की कुर्सी पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, गुर्जर समाज भी सचिन पायलट के समर्थन में कांग्रेस पर दवाब बना रहा है। गहलोत के नाम पर पूरी कांग्रेस सहमत हो सकती हैं। क्योंकि अशोक गहलोत गांधी परिवार के सबसे विश्वस्त नेता माने जाते हैं। इसलिए कांग्रेस में अशोक गहलोत आसानी से अध्यक्ष पा सकते हैं।
गहलोत के जाने के बाद कांग्रेस को ऑपरेशन लॉटस का डर
अशोक गहलोत का मानना हैं कि अगर वह कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए राजी हो जाते हैं तो भाजपा , कांग्रेस के खिलाफ ओपरेशन लोटस चला सकती हैं, जंहा राज्य में बहुमत में होने के बाद अस्थिरता पैदा हो सकती है।इसके अलावा उन्हें इस बात की भी चिंता है कि प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट को सीएम पद मिल सकता है। सोमवार को पायलट दिल्ली भी आए थे। इन पूरे घटनाक्रमों ने अशोक गहलोत की चिंता को बढ़ा दिया है।
सचिन पायलट की दावेदारी तेज, दिल्ली रवाना
कांग्रेस के सूत्रों से मिली खबर के अनुसार बताया जा रहा हैं कि अगर गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो वह राज्य में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहते हैं, क्योंकि राज्य में वह ऐसे व्यक्ति को अपनी कुर्सी सौंपना चाहते हैं जो उनके मातहत ही कार्य करे, लेकिन सचिन पायलट अभी से दिल्ली में डेरा डालने के लिए तैयार हो गए हैं। बताया जा रहा हैं कि सचिन पायलट की अनदेखी कांग्रेस को भारी पड़ सकती हैं, पूर्व में भी सचिन पायलट सीएम पद को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं।