दुनियाभर में तेजी से रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बड़े स्तर पर खाद्य संकट मंडरा रहा है। कांग्रेस सांसद और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अधिकारी शशि थरूर ने एफएओ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लगभग 30 फीसदी फसल नहीं बोई जाएगी।
शशि थरूर ने ट्वीट कर जाहिर की चिंता
#Ukraine & Russia account for nearly 30% of the world’s wheat, 17% of corn and over half of sunflower seed oil exports. These have been drastically reduced by war. Worse, @FAO estimates that 20-30% of this year’s crop won’t be planted because of war. A global food crisis looms.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 20, 2022
एक ट्वीट में उन्होंने कहा, यूक्रेन और रूस दुनिया के गेहूं का लगभग 30 प्रतिशत, मकई का 17 प्रतिशत और सूरजमुखी के बीज के तेल के आधे से ज्यादा निर्यात करता है। ये युद्ध से काफी कम हो गए हैं। एफएओ का अनुमान है कि इस साल की 20-30 फीसदी फसल युद्ध के कारण नहीं बोई जाएगी।
दोनों देश दुनिया भर के कई देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं
वैश्विक खाद्य संकट मंडरा रहा है। उन्होंने कहा, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन में चल रहे संघर्ष से वैश्विक खाद्य सुरक्षा को और खतरा है, क्योंकि खाद्य कीमतें पहले से ही उच्च स्तर पर हैं। यूक्रेन के लिए डब्ल्यूएफपी के आपातकालीन समन्वयक जैकब केर्न ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े और चौथे सबसे बड़े गेहूं निर्यातक क्रमश: रूस और यूक्रेन वैश्विक गेहूं व्यापार के 29 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए, दोनों देश दुनिया भर के कई देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
खाद्य और कृषि संगठन के खाद्य मूल्य सूचकांक के अनुसार, केर्न ने कहा कि संघर्ष की शुरूआत के बाद से वैश्विक खाद्य और ईधन की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। वे फरवरी 2022 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। केर्न ने कहा कि 21 फरवरी से 15 मार्च तक गेहूं की कीमत में 24 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा, ये बढ़ोतरी स्थानीय खाद्य कीमतों को प्रभावित करेगी और इससे गरीब लोगों की मुश्किल बढ़ जाएगी।