नई दिल्ली: रोज बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों और लोगों के बढ़ते अाक्रोश को देखते हुए सरकार अब जागी है। कर्नाटक चुनाव के समय पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर थे और चुनाव समाप्त होते ही उसके दाम बढ़ने लगे। लोगों ने इस पर सवाल भी उठाए। विपक्षी दलों ने भी सरकार पर हमलावर रुख अपना रखा है। जनता में भी नाराजगी बढ़ती जा रही है। लोगों को पेट्रोल और डीजल के बढ़ें दाम की आंच अब सताने लगी है। वहीं, अभी तक सरकार साफ कहती चली आ रही थी कि दाम बढ़ने में उसकी कोई भूमिका नहीं है, और तेल के दाम सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं।
सूत्रों के हवाले से अब एक अच्छी खबर है कि पेट्रोल डीज़ल के बढ़ते दामों पर सरकार दखल दे सकती है। आज शाम पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सभी तेल कंपनियों के अध्यक्षों से मिल सकते हैं। शाम पाँच बजे बैठक होने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि बैठक के बाद तेल क़ीमतों में कमी आने की संभावना है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक के बाद पेट्रोल और डीजल की क़ीमतों में कुछ कटौती हो सकती है।
कहा जा रहा है कि अब चुनावी मौसम है और इस साल के अंत में देश में तीन महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने और इन राज्यों में बीजेपी की सरकार है। केंद्र सरकार ऐसे में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। इसलिए दाम कम रखने के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ रहा है ताकि वह चुनाव में लोगों की नाराजगी का सामना न करे।
बता दें कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें मंगलवार को एक बार फिर बढ़ गई है। यह सिलसिला लगातार नौवें दिन का हो गया है। पेट्रोल 30 पैसे जबकि डीजल की क़ीमतों में 26 पैसे की बढ़ोतरी हुई है। आज की बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की क़ीमत 76.87 हो गई है जबकि डीजल 68.08 हो गया है। लोग पहले ही बढ़ी क़ीमतों के बोझ तले दबे हुए हैं।
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