देश में अभी भी भ्रूण हत्या खत्म नहीं हुई है इसके बावजूद लोगों की सोच बदली है। देश के करीब 80 फीसदी लोग चाहते हैं कि घर में कम से कम एक बेटी हो। हाल में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के आंकड़ों से यह बात सामने आई है। इससे वाकई ऐसा लगता है कि अब देश बदल रहा है। इसे उस देश में एक अच्छा संकेत ही कहा जाएगा, जहां कभी लड़कियों को अभिशाप की तरह देखा जाता रहा है और बालिका भ्रूण हत्या अब भी खत्म नहीं हुई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार सर्वे में शामिल 15 से 49 साल की 79 फीसदी महिलाएं और 15 से 54 साल के करीब 78 फीसदी पुरुष यह मानते हैं कि घर में कम से कम एक बेटी होनी चाहिए। सर्वे में यह अच्छी बात सामने आई है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, मुस्लिम, ग्रामीण लोग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के ज्यादा लोग यह चाहते हैं कि घर में बेटी हो।
अनपढ़ महिलाओं का बेटी प्रेम
यही नहीं, यह भी चौंकाने वाली बात है कि शहरी और पढ़े-लिखे लोगों की तुलना में ज्यादा ग्रामीण और अनपढ़ लोग बेटी चाहते हैं। सर्वे के अनुसार 81 फीसदी ग्रामीण महिलाएं घर में बेटी चाहती हैं, जबकि 75 फीसदी शहरी महिलाएं ही बेटी चाहती हैं। अशिक्षित महिलाओं का 85 फीसदी हिस्सा यह चाहता है कि घर मे बेटी हो, जबकि बारहवीं पास सिर्फ 72 फीसदी महिलाएं ऐसा चाहती हैं।
सर्वे के अनुसार बेटी चाहने वाली की प्रतिशतता बढ़ी है। इसके पहले साल 2005-06 में हुए सर्वे में 74 फीसदी महिलाओं और 65 फीसदी पुरुषों का यह कहना था कि घर में कम से एक बेटी होनी चाहिए।
सर्वे के अनुसार करीब 80 फीसदी ग्रामीण पुरुष और 75 फीसदी शहरी पुरुष घर में बेटी चाहते हैं। 83 फीसदी अनपढ़ पुरुष और 74 फीसदी 12वीं पास पुरुष घर में बेटी चाहते हैं।
सर्वे में धर्म और जाति के मुताबिक भी आंकड़े निकाले गए हैं। करीब 81 फीसदी मुस्लिम, 79 फीसदी बौद्ध और 79 फीसदी हिंदू चाहते हैं कि घर में में कम से कम एक बेटी हो। एससी वर्ग की 81 फीसदी, एसटी वर्ग की 81 फीसदी और ओबीसी की 80 फीसदी महिलाएं घर में बेटी चाहती हैं। इसी तरह एससी वर्ग के 79 फीसदी और एसटी वर्ग के 84 फीसदी पुरुष यह चाहते हैं कि घर में बेटी हो।
बिहार में बेटा पसंद करने वाली महिलाएं ज्यादा
हालांकि बेटों को प्राथमिकता देने की बात अब भी बनी हुई है. सबसे गरीब तबके की 86 महिलाएं चाहती हैं कि घर में कम से कम बेटी हो, जबकि सबसे धनी वर्ग की सिर्फ 73 फीसदी महिलाएं ऐसा चाहती हैं। सर्वे के अनुसार बिहार में सबसे ज्यादा 37 फीसदी और उसके बाद यूपी में 31 फीसदी महिलाएं यह मानती हैं कि बेटियों से ज्यादा बेटे होने चाहिए।
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