केंद्र की मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने लगभग एक साल से अधिक विरोध-प्रदर्शन किया। अब सरकार के साथ समझौते के बाद किसान संगठनों ने एक लंबा आंदोलन समाप्त करने का निर्णय ले लिया है। इसी बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद को बताया कि निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर पर धान की खरीद किए जाने के संबंध में हरियाणा सहित किसी अन्य स्थान से कोई शिकायत नहीं मिली है। देश के ग्रामीण विकास तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
सरकार ने दिया दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सवाल का जवाब, कहा-
हरियाणा से कांग्रेस के सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने जानना चाहा था कि क्या सरकार को एमएसपी से कम मूल्य पर धान की खरीद किए जाने के संबंध में किसानों, विशेषकर हरियाणा के किसानों द्वारा शिकायत किए जाने की जानकारी है। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग व भारतीय खाद्य निगम में हरियाणा सहित किसी भी अन्य स्थान से एमएसपी से कम पर धान की खरीद से संबंधित शिकायतें प्राप्त नहीं हुई हैं।’’
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अब किसान बिचौलियों पर निर्भर नहीं हैं
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने देश भर में किसानों के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) की व्यवस्था लागू की है और इसके कार्यान्वयन के साथ ही अब किसान बिचौलियों पर निर्भर नहीं हैं और उन्हें अपने उत्पाद का भुगतान बिना किसी विलंब और कटौती के सीधे बैंक खाते में प्राप्त होता है। उन्होंने कहा, ‘‘एमएसपी के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से पारदर्शिता आई है और खरीद में लगने वाले वास्तविक समय की निगरानी हुई है।’’
एमएसपी पर 60 लाख टन धान की खरीद का अनुमान लगाया गया है
वर्ष 2021-22 के खरीफ विपणन मौसम के लिए हरियाणा में धान की खरीद के लक्ष्य संबंधी एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस दौरान केंद्रीय पूल के तहत एमएसपी पर 60 लाख टन धान (चावल के रूप में 40 लाख टन) की खरीद का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस अनुमान की तुलना में इस वर्ष छह दिसंबर तक एमएसपी पर केंद्रीय पूल के अंतर्गत 55.30 लाख टन धान की खरीद की गई है।’’