भोपाल: मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेज अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। खास बात यह है कि कॉलेजों को इसके लिए खर्चा नहीं करना पड़ेगा। जो कंपनी प्लांट लगाएगी, वह रियायती दर पर कॉलेज को बिजली उपलब्ध कराएगी। ऊर्जा विकास निगम ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। कॉलेजों में रेस्को मॉडल पर आधारित प्लांट लगाए जाएंगे, जिसके लिए कॉलेज को राशि खर्च नहीं करना पड़ेगी।
प्रदेश में करीब 300 कॉलेजों में सोलर प्लांट लगाए जाने हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज प्राचार्यों को इस संबंध में निर्देश भी दे दिए हैं। इस योजना के तहत राजधानी भोपाल के पांच बड़े कॉलेजों में प्लांट लगने हैं। यह प्लांट उन कॉलेजों में लगाए जाएंगे जिनका स्वयं का भवन है। गौरतलब है कि प्रदेश के बड़े कॉलेजों में प्रत्येक महीने हजारों रुपए बिजली का बिल आता है। जिस पर उच्च शिक्षा विभाग को हर साल लाखों रुपए केवल बिजली के बिल पर ही खर्च करना होते हैं। अब रेस्को मॉडल में उन्हें बहुत ही रियायती दामों पर बिजली मिलेगी। इसी के साथ सरप्लस बिजली आगे समायोजित भी की जा सकेगी। कंपनी कॉलेजों में मुफ्त सोलर प्लांट लगाएगी, जिसका कॉलेज भरपूर उपयोग करेगा।
इसके एवज में जो बिल आएगा, केवल वही कॉलेज को कंपनी को भुगतान करना होगा। ऐसा तब तक होगा जब तक प्लांट की लागत नहीं निकल जाती। इसके लिए कॉलेज को सामान्य उपभोक्ताओं को मिलने वाली बिजली की तुलना में आधे से भी कम कीमत पर बिजली मिलेगी। इससे कॉलेज का खर्चा भी बचेगा।
ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों ने बताया कि एक बड़े कॉलेज में 50 किलोवाट के प्लांट से आसानी से बिजली की आपूर्ति हो जाएगी। यह प्लांट प्रतिदिन करीब 200 यूनिट बिजली पैदा करेगा। इस बीच कॉलेज ने एक दिन में केवल 100 यूनिट बिजली की ही खपत की तो बची हुई 100 यूनिट बिजली ग्रिड में चली जाएगी। यानि इस बिजली का उपयोग कॉलेज बाद में भी कर सकेगा।
इसके लिए नेट मीटर लगाया जाता है जो बिजली की खपत का हिसाब-किताब रखता है। इस संबंध में ऊर्जा विकास निगम के एसई श्रीकांत देशमुख का कहना है कि अभी कुछ सरकारी भवन सौर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं। कॉलेजों में भी इन्हें लगाया जाना है। इसके लिए टेंडर जारी किए जाएंगे। टेण्डर प्रक्रिया में कॉलेजों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने की शर्त भी रखी जायेगी। इससे कॉलेजों को भारी-भरकम बिजली के बिलों से छुटकारा मिलेगा।