देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को अब अपनी वर्दी को खरीदने के लिए खुद पैसा खर्च करना पड़ सकता है जिसका कारण बजट में कटौती। इसके लिए सेना ने अब ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों से खरीदारी में कटौती करने का फैसला किया है। छोटी लड़ाई के दौरान गोला-बारूद और कलपुर्जे खरीदने के लिए पैसा बचाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। एक अखबार के अनुसार, केंद्र ने गोला-बारूद और पुर्जों की आकस्मिक खरीदारी के लिए अतिरिक्त राशि नहीं दी है।
सेना के इस फैसले से आयुध फैक्ट्रियों द्वारा सेना को होने वाली सप्लाई 94 से गिरकर 50 प्रतिशत पर आ जाएगी। इस कदम से सैनिकों के परिधानों (युद्ध की पोशाक, बेरेट्स, बेल्ट, जूते) इत्यादि की सप्लाई पर असर पड़ेगा। सैनिकों को खुद सामान्य बाजारों से वर्दी व अन्य कपड़े खरीदने होंगे। कुछ वाहनों के पुर्जों की सप्लाई भी प्रभावित होगी। अखबार ने मामले से जुड़े अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि सेना यह स्टॉक तैयार करने के लिए तीन बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है और उसे हजारों करोड़ रुपये के फंड की जरूरत है।
केंद्र ने यह राशि नहीं दी और सेना को अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए अपने बजट में कटौती के लिए मजबूर होना पड़ा। 2018-19 के बजट को देखते हुए, सेना के पास आयुध फैक्ट्रियों की सप्लाई घटाने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था। मौजूदा वित्त वर्ष (2018-19) के बजट को देखते हुए अधिकारियों ने बताया कि सेना के पास आयुध कारखानों से सप्लाई में कटौती करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। तीन योजनाओं में से केवल पर काम शुरू हुआ है।
अधिकारी ने बताया कि फंड की कमी की वजह से इस योजना की आपातकालीन खरीद के लिए भुगतान कई वर्षों में करने का फैसला लिया गया है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस आपातकालीन खरीद के लिए लगभग 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं जबकि 6739.83 करोड़ रुपए का भुगतान अभी होना बाकी है।
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