भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं। जिसमें नागरिकों को समान शिक्षा के अवसर प्रदान किये जाते हैं। हालांकि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने औपचारिक तौर से स्पष्ट किया कि कैंद सरकार शिक्षा के मामलें में राज्यों में कोई भी हस्तक्षेप नहीं करती है।
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस
जानकारी के मुताबिक, श्री प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन के जवाब में यह बात कही। सुश्री डोला सेन ने केन्द्र, सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक मामलों के संस्थानों और विशेष रूप से ईसाई समुदाय के स्कूलों के मामले में हस्तक्षेप के बारे में सवाल पूछा था।
सरकार शिक्षा के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती
श्री प्रधान ने कहा कि शिक्षा राज्य का विषय है और आपको इस बारे में गलतफहमी हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य के स्तर पर कोई गड़बड़ हुई होगी। सरकार शिक्षा के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती। तृणमूल के सदन में नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इसका कड़ा विरोध किया। अन्य विपक्षी दलों ने भी इसका विरोध किया।
नयी शिक्षा नीति में वैदिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा
शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश में शिक्षक और छात्र अनुपात कुल मिलाकर संतोषजनक है और इसे बढाने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। सरकार देश में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है और इसमें राज्यों के साथ भी समन्वय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एकीकृत फ्रेमवर्क पर काम किया जा रहा है। इस मामले में सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखकर काम कर रही है।उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में वैदिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और धीरे धीरे इसका विस्तार किया जायेगा।