जैव विविधता के लिहाज से दुनिया के सर्वाधिक समृद्ध क्षेत्रों में शुमार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में केन्द्र सरकार ने जैव संसाधनों की खोज और इनके पर्यावरण अनुकूल दोहन के लिए शोध का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत पूर्वोत्तर राज्यों में जैवविविधता के क्षेत्र में शोध के लिये केन्द्र सरकार द्वारा मणिपुर की राजधानी इंफाल में संचालित जैव संसाधन एवं स्थायी विकास संस्थान की दो शोध इकाई मेघालय में शुरू की जायेंगी।
केन्द्रीय विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय की मंजूरी के बाद संस्थान के दो नये कैंपस शिलांग और तुरा में स्थापित होंगे। संस्थान के निदेशक प्रो. दीनबंधु साहू ने बताया कि मेघालय सरकार के साथ इस आशय के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद कैंपस शुरू करने का काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। साहू ने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण को सुनिश्चित करते हुये विकास की रूपरेखा तय करने में संस्थान के शोधपरक परामर्श, क्षेत्र की राज्य सरकारों के लिये मददगार साबित होते हैं।
प्रो. साहू ने बताया कि मेघालय सरकार की मदद से शिलांग और तुरा में संस्थान के दोनों कैंपस इस महीने के अंत तक शुरू हो जायेंगे। इसका मकसद जैव विविधता से समृद्ध मेघालय और आसपास के क्षेत्रों में जैव तकनीक के माध्यम से सामाजिक आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कायम करना है।
इसके तहत मेघालय में विकास कार्यों’ से जुड़े सभी विभाग संस्थान के साथ तालमेल कायम कर विकास कार्यों’ को आगे बढ़ायेंगे।इसमें किसी भी विकास परियोजना को संस्थान द्वारा मंजूर कार्ययोजना के तहत आगे बढ़या जायेगा। जिससे क्षेत्र की जैवविविधता को नुकसान पहुंचाये बिना सतत और संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।
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