नयी दिल्ली : सरकार ने ड्रोन का नागरिक इस्तेमाल शुरू करने के लिए एक ओर जहाँ इसके परिचालन संबंधी नियमों एवं शर्तों का प्रारूप जारी किया है, वहीं दूसरी तरफ उसके पंजीकरण तथा ऑपरेटर के लिए परमिट शुल्क तय कर दिये हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन के परिचालन के लिए ऑपरेटरों की खातिर परमिट शुल्क 25 हजार रुपये तय किये हैं। इसके अलावा 250 ग्राम या उससे भारी सभी ड्रोन के लिए आवश्यक यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर का शुल्क एक हजार रुपये रखा है। ऑपरेटरों को जारी परमिट पाँच साल के लिए मान्य होगा और इसके बाद परमिट के नवीकरण के लिए 10 हजार रुपये का शुल्क देय होगा।
इन नियमों के लिए मंत्रालय ने एयरक्राफ्ट रूल्स, 1937 में संशोधन का प्रारूप सितंबर के मध्य में जारी किया था और 01 नवंबर को संशोधन लागू कर दिये गये। उल्लेखनीय है कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भी ड्रोन के परिचालन के लिए सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट््स के तहत 01 नवंबर को ही नियम एवं शर्तों का प्रारूप जारी किया है। इस पर 30 दिन के अंदर संबद्ध पक्षों से टिप्पणियाँ आमंत्रित की गयी हैं। सरकार का कहना है कि इस साल 31 दिसंबर तक परिचालन नियमों को भी अंतिम रूप देकर प्रभावी कर दिया जायेगा।
ड्रोन के नियम एवं शर्तें लागू हो जाने के बाद सामान की डिलिवरी, अनुसंधान, शिक्षा, मनोरंजन, कृषि, फोटोग्राफी तथा अन्य किसी भी तरह के नागरिक उद्देश्य में इनका इस्तेमाल संभव हो सकेगा। कुछ देशों में बड़ खुदरा स्टोर कंपनियों ने सामान की डिलिवरी के लिए इनका इस्तेमाल शुरू किया है। सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट््स के प्रारूप नियम के अनुसार वजन के हिसाब से ड्रोन को पाँच श्रेणियों में रखने का प्रस्ताव है। ढाई सौ ग्राम तक के ड्रोन नैनो, 250 ग्राम से ज्यादा और दो किलोग्राम तक के माइक्रो, दो किलोग्राम से 25 किलोग्राम तक के मिनी, 25 किलोग्राम से 150 किलोग्राम तक के स्मॉल और 150 किलोग्राम से ज्यादा वजन वाले लार्ज श्रेणी में होंगे।
कुछ क्षेत्रों को‘ड्रोन निषेध क्षेत्र’घोषित किया गया है जहाँ उनका इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं और नियंत्रण रेखा से 50 किलोमीटर तक, समुद्र तट से समुद्र की ओर 500 मीटर से अधिक दूरी, दिल्ली में विजय चौक से पाँच किलोमीटर के दायरे तथा देश भर में सैन्य ठिकानों से 500 मीटर के दायरे में ड्रोन के नागरिक इस्तेमाल की इजाजत नहीं होगी। पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों के ऊपर ड्रोन के इस्तेमाल के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी। सुरक्षा एजेंसियों और सेना द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। उन्हें सिर्फ स्थानीय पुलिस और एटीसी को सूचित करना होगा।
प्रारूप के अनुसार, ड्रोनों का इस्तेमाल सिर्फ दृश्य सीमा तक दिन में ही किया जा सकेगा। इन्हें 200 फुट से कम ऊँचाई पर उड़ना होगा। नैनो ड्रोन के लिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी जबकि अन्य सभी श्रेणी के ड्रोन का पंजीकरण डीजीसीए के पास कराना जरूरी होगा यानी उन्हें यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर हासिल करना होगा। मिनी तथा इससे बड़ ड्रोन को अनमैंड एयरक्राफ्ट ऑपरेटर परमिट लेना होगा और उनके रिमोट पायलट को भी प्रशिक्षण लेना होगा। नैनो को छोड़कर अन्य श्रेणी के ड्रोन में आईडी प्लेट, जीपीएस, आरएफआईडी या सिम, घर वापसी का विकल्प और एंटी कोलिजन लाइट का होना जरूरी है। इनके लिए स्थानीय पुलिस की अनुमति भी आवश्यक होगी। मिनी तथा बड़ ड्रोन के लिए फ्लाइट प्लान भी फाइल करना होगा।