पटना : वायु प्रदूषण के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पर्यावरण एवं वन विभाग के प्रधान सचिव तथा बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष व सदस्य सचिव के साथ बैठक कर विस्तृत चर्चा की।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट से असहमति जताते हुए उन्होंने कहा कि यह अद्यतन नहीं है तथा इसे वर्ष2010 से 2016 के आंकडे़ के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें शहरों की रैंकिंग सिर्फ परिवेशीय वायु में विद्यमान छोटे कणों की मात्रा के आधार पर की गई है।
जबकि, वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अन्य कई मापदंड जैसे- सल्फर डायआॅक्साइड, नाट्रोजन डायआॅक्साईड, कार्बन मोनोआॅक्साइड, ओजोन एवं बेंजीन की मात्रा बिहार के शहरों में मानक के अधीन पाई गई है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी दूर चली गई है और इसके किनारे अवस्थित शहरों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण दियारा क्षेत्र के रेत एवं धूलकण हैं।
अतः विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही नहीं माना जा सकता है।उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार सतत् प्रयत्नशील है। परिवेशीय वायु की गुणवत्ता के अनुश्रवण (monitoring) हेतु पटना में पाँच एवं भागलपुर व दरभंगा एक-एक केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। पटना में वाहनों में ईंधन के रूप में सी0एन0जी0 का उपयोग किया जायेगा।
राज्य के सभी ईंट-भट्ठों को इस वर्ष के अगस्त महीने तक स्वच्छतर तकनीक में परिवर्तित करने का निदेश दिया जा चुका है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के आंकड़ों का अध्ययन किया जा रहा है तथा इस संबंध में 7 मई को विभिन्न विभागों के साथ एक बैठक आयोजित की जायेगी, जिसमें वायु प्रदूषण के नियंत्रण एवं अनुश्रवण से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श होगा और आवश्यक निर्णय लिये जायेंगे।
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