महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि केंद्र सरकार ने 2014 से अब तक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के विज्ञापन पर 393 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस योजना का उद्देश्य बाल लिंग अनुपात में सुधार करना है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उच्च सदन को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि चालू वित्त वर्ष में 17 सितंबर तक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के विज्ञापन पर 96.71 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
उन्होंने बताया कि इस योजना के विज्ञापन पर साल 2019-20 में 23.67 करोड़ रुपये , 2018-19 में 160 करोड़ रुपये, 2017-18 में 135.71 करोड़ रुपये, 2016-17 में 29.79 करोड़ रुपये, 2015-16 में 24.54 करोड़ रुपये और साल 2014-15 में 18.91 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
ईरानी ने बताया कि अगस्त में ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का आकलन किया था जिसमें लड़कियों के प्रति सकारात्मक व्यवहारगत बदलाव का संकेत मिला था।
उन्होंने बताया ‘‘(स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार) जन्म के समय लिंग अनुपात को इस योजना की प्रगति की निगरानी के लिए मानक तय किया गया था। लिंग अनुपात 2014-15 में प्रति 1000 लड़कों पर 918 था जो 2019-20 में प्रति 1000 लड़कों पर 934 हो गया। इस प्रकार लिंग अनुपात में 16 अंकों का सुधार देखा गया।’’
ईरानी ने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से बाल लिंग अनुपात में सुधार लाने तथा लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता बदलने का उद्देश्य पूरा करने में मदद मिली है।