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इसरो : भारतीय समय के इस्तेमाल के लिए कानून बनायेगी सरकार

इस संबंध में मंत्रालय के अधिकारियों से उनकी चर्चा चल रही है। डॉ. असवाल ने कहा कि समय का एक होना अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने प्रक्षेपणों में राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला से प्राप्त भारतीय समय का इस्तेमाल शुरू कर दिया है तथा पूरे देश में सिर्फ भारतीय समय के अनिवार्य इस्तेमाल के लिए सरकार जल्द ही संसद में विधेयक लायेगी। राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एलपीएल) भारतीय समय जारी करता है। इससे हम समय के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं हैं। लेकिन, अभी इसका इस्तेमाल सीमित तौर पर हो रहा है तथा इससे अलग समय के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है।

सरकार की योजना पूरे देश में सिर्फ एक समय के इस्तेमाल की है जो भारतीय समय होगा। एनपीएल के निदेशक डॉ. दिनेश कुमार असवाल ने सोमवार को एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं को बताया ‘‘साइबर सुरक्षा के लिए डिजिटल माध्यम से किये गये आपके लेनदेन के साथ उसके सटीक समय की जानकारी संलग्न होना जरूरी है। कई विकसित देशों में उनका स्थानीय समय ही एक मात्र वैधानिक समय होता है।

मसलन, जर्मनी में जर्मन समय वैधानिक समय है तथा वहाँ के लोग किसी और समय का इस्तेमाल नहीं कर सकते। वहीं, भारत में भारतीय समय आधिकारिक समय तो है, लेकिन उसे अभी वैधानिक दर्जा नहीं दिया गया है। इस कारण हम किसी भी समय का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं। इससे लेनदेन से संबंधित काफी समस्याएँ आती हैं।’’ डॉ। असवाल ने बताया कि सरकार ने देश में हर उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले समय को एनपीएल की घड़ के अनुरूप करने की योजना बनायी है। एनपीएल का समय अंतर्राष्ट्रीय समय की तुलना में 2.7 नैनो सेकेंड तक सटीक है।

उन्होंने कहा ‘‘हमने इसरो को उनके प्रक्षेपण के लिए अपनी घड़ से समय देना शुरू कर दिया है। इंटरनेट सेवा प्रदाता, बैंकिंग सेक्टर, रेलवे, बिजली सेक्टर समेत सभी जगह इसका इस्तेमाल किया जायेगा। इससे सरकार को राजस्व की काफी बचत होगी।’’ एक प्रश्न के उत्तर में एनपीएल निदेशक ने बताया कि इसके लिए संसद में विधेयक लाने की जरूरत होगी जो उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय लायेगा। इस संबंध में मंत्रालय के अधिकारियों से उनकी चर्चा चल रही है। डॉ. असवाल ने कहा कि समय का एक होना अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है। एनपीएल ने इसके लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाया है और कुछ वर्षों में देश में एक ही समय के इस्तेमाल की तैयारी पूरी कर ली जायेगी।

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