गुजरात विधानसभा ने शुक्रवार को नागरिकता कानून में संशोधन के लिये शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।
प्रस्ताव में दावा किया गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को अतीत में ”तुष्टीकरण की नीति” के कारण नागरिकता नहीं दी गई। हालांकि कांग्रेस ने इसका विरोध किया।
शुक्रवार को गुजरात विधानसभा में तीखी बहस के दौरान कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपने खून से लिखे पोस्टर दिखाए।
गतिरोध के बाद सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित कर दी गई।
प्रस्ताव पेश करने वाले राज्य के गृहमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून में संशोधन का साहसिक और ऐतिहासिक फैसला लेकर दूरदर्शिता दिखाई है। इससे तीन पड़ोसी देशों के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के लोग भारतीय नागरिकता हासिल कर सकेंगे।”
प्रस्ताव में कहा गया है, ”इससे पहले की सरकारों की तुष्टीकरण की नीति ने ऐसे लोगों को नागरिकता और अन्य अधिकारों से वंचित रखा।”
सीएए के आलोचकों का कहना है कि यह भेदभाव करने वाला कानून है क्योंकि इससे मुसलमानों को अलग रखा गया है और यह संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है।
विपक्ष के नेता परेश धनानी ने इसकी आलोचना करते हुए कहा, ‘‘सीएए हमारे संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को नष्ट कर देगा। सीएए, एनआरसी और एनपीआर से जुड़ा हुआ है। लोगों को डर है कि उनकी नागरिकता जा सकती है।’’