शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद, मोदी को पत्र लिख कर मांग की है कि साहिबजादों के शहादत दिवस को सरकार द्वारा घोषित‘वीर बाल दिवस’के बजाय‘साहिबजादे शहादत दिवस’के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए।
धामी ने कहा कि केन्द्रीय गृह विभाग द्वारा इस वर्ष जारी अधिसूचना में साहिबजादों के शहादत दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में चिह्नित करने की अधिसूचना जारी की गई है, जबकि यह नाम सिख धर्म की भावना के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द, सरकार की इस घोषणा के बाद श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा सिख विद्वानों की एक समिति गठित की गई, जिसने वीर बाल दिवस के बजाय‘साहिबजादे शहादत दिवस’नाम देने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी की कार्यकारिणी ने अक्टूबर में इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया था, जिसके बाद सरकार से नाम बदलने की अपील की गई थी। धामी ने कहा कि इस महीने साहिबजादों का शहादत दिवस आने वाला है, जिसे सिख इतिहास की भावना में अंकित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिख इतिहास और सिद्धांतों की भावना को देखते हुए, भारत सरकार की अधिसूचना में संशोधन किया जाना चाहिए और साहिबजादों के शहादत दिवस को वीर बाल दिवस के बजाय‘साहिबजादे शहादत दिवस’के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिए।
जानकारी के मुताबिक इस दौरान एसजीपीसी अध्यक्ष ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा से भी इस गंभीर मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी निभाने को कहा। उन्होंने कहा कि लालपुरा को आरोप लगाना बंद करना चाहिए और अपने संवैधानिक पद के आचरण के अनुरूप अल्पसंख्यकों के मुद्दों को सरकार के सामने उठाना चाहिए। धामी ने कहा कि सोशल मीडिया पर इकबाल सिंह लालपुरा की पोस्ट गलत है कि पिछले 318 सालों में साहिबजादों की याद में कोई शिक्षण संस्थान नहीं खोला गया है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को बिना तथ्यों के बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादे और माता गुजरी जी सिख इतिहास के नायक हैं, जिन्होंने मानवता और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ मुगल अत्याचार को रोकने के लिए बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि इन महान शहीदों के नाम पर एसजीपीसी द्वारा कई शिक्षण संस्थान चलाए जा रहे हैं।