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भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के सबसे बड़े सुधार के तौर पर दर्ज होगा आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक : हषवर्धन

हर्षवर्धन ने कहा कि मोदी सरकार सबको गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है और 2014 से लगातार इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) से संबंधित विधेयक पर विभिन्न वर्गो की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए सोमवार को कहा कि विधेयक मोदी सरकार की भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के आधार पर लाया गया है तथा यह इतिहास में भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के सबसे बड़े सुधार के तौर पर दर्ज होगा। 
लोकसभा में ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019’ को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि मोदी सरकार सबको गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है और 2014 से लगातार इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) में लंबे समय से भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही थीं। इस मामले में सीबीआई जांच भी हुई। ऐसे में इस संस्था के कायाकल्प की जरूरत हुई। 
मंत्री ने यह भी कहा कि यह विधेयक इतिहास में चिकित्सा के क्षेत्र के सबसे बड़े सुधार के रूप में दर्ज होगा। हर्षवर्धन ने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर चलती है और यह विधेयक भी इसी भावना के साथ लाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सदन को आश्वासन देता हूं कि विधेयक में आईएमए (भारतीय चिकित्सक संघ) की उठाई गयी आशंकाओं का समाधान होगा।’’ 
हर्षवर्धन ने कहा कि एनएमसी विधेयक एक प्रगतिशील विधेयक है जो चिकित्सा शिक्षा की चुनौतियों से पार पाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने विभाग संबंधी स्थाई समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयक का मसौदा तैयार किया और इसे पुन: स्थाई समिति को भेजा गया। दोबारा भी स्थाई समिति की अधिकतर सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया। 
एनएमसी विधेयक में परास्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश और मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए एक संयुक्त अंतिम वर्ष एमबीबीएस परीक्षा (नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’) का प्रस्ताव दिया गया है। यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी। राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के अलावा संयुक्त काउंसिलिंग और ‘नेक्स्ट’ भी देश में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में समान मानक स्थापित करने के लिए एम्स जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों पर लागू होंगे। 
विधेयक में चार स्वशासी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है। इसमें स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर अतिविशिष्ट आयुर्विज्ञान शिक्षा में प्रवेश के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है। इसमें चिकित्सा व्यवसाय करने के लिए राष्ट्रीय निर्गम परीक्षा आयोजित करने का उल्लेख है। 

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