Narendra Modi Swearing-in Ceremony : प्रधानमंत्री पद के लिए नामित नरेन्द्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सहित भारत के पड़ोस और हिंद महासागर क्षेत्र के शीर्ष नेता रविवार को दिल्ली पहुंचे।
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मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और उनके भूटानी समकक्ष शेरिंग टोबगे भी समारोह के लिए दिल्ली पहुंचे, जहां मोदी अपनी मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के साथ लगातार तीसरी बार शपथ लेंगे। बांग्लादेश की राष्ट्रपति शेख हसीना और सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीफ शनिवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे।
विदेशी नेताओं में मुइज्जू की यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह भारत और मालदीव के बीच संबंधों में जारी तनाव के समय हुई है। पिछले साल 17 नवंबर को द्वीप राष्ट्र के राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू की यह पहली भारत यात्रा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "नरेन्द्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू नयी दिल्ली पहुंचे, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।"
उन्होंने कहा, "भारत और मालदीव समुद्री साझेदार एवं करीबी पड़ोसी हैं।" मुइज्जू ने शनिवार को कहा था कि वह भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से नरेन्द्र मोदी के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध ''सकारात्मक दिशा'' में बढ़ रहे हैं। चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू के राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
मुइज्जू ने अपनी शपथ के कुछ ही घंटों के भीतर मालदीव से भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने की मांग की थी। इस महीने की शुरुआत में भारतीय सैन्यकर्मियों की जगह वहां भारत के असैन्य कर्मियों को तैनात किया गया था। जायसवाल ने टोबगे के आगमन के बाद कहा कि यह यात्रा 'भारत तथा भूटान के बीच दोस्ती एवं सहयोग के करीबी संबंधों को और मजबूत करेगी।' विक्रमसिंघे की यात्रा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और श्रीलंका सभ्यतागत साझेदार हैं तथा उनके बीच मजबूत एवं स्थायी द्विपक्षीय संबंध हैं।
जायसवाल ने 'एक्स' पर कहा, "यह यात्रा अद्वितीय भारत-नेपाल संबंधों को दर्शाती है तथा हमारे बहुमुखी संबंधों को और अधिक गति प्रदान करेगी।" विदेश मंत्रालय ने कहा, "नरेन्द्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के शपथग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नेताओं की यात्रा भारत की 'पड़ोस प्रथम' नीति और 'सागर' दृष्टिकोण को दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता के अनुरूप है।"इसने कहा कि भारत, 'सागर' (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) की व्यापक नीति रूपरेखा के अंतर्गत हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग कर रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के अलावा सभी नेता राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित भोज में भी शामिल होंगे। मोदी के विदेशी नेताओं के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है। क्षेत्रीय समूह दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के नेताओं ने मोदी के पहले शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था, जब उन्होंने भाजपा की शानदार चुनावी जीत के बाद प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था।
मोदी जब 2019 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उनके शपथग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के नेता शामिल हुए थे। इस बार, हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिल सका, लेकिन पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 543 में से 293 सीट हासिल कीं। निचले सदन में बहुमत का आंकड़ा 272 है। इस बीच, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हसीना ने भाजपा के संरक्षक लालकृष्ण आडवाणी से उनके आवास पर मुलाकात की।
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