नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के एक संगठन ने संविधान के आर्टिकल 35A में बदलाव होने पर समूचे राज्य में जनांदोलन शुरू करने की शनिवार को धमकी दी। संविधान के इस अनुच्छेद को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। संविधान के अनुच्छेद 35ए के खिलाफ दायर नई जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई टल गई। याचिकाकर्ता बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने सुनवाई टालने का आग्रह किया था। अब मुख्य मामले पर सुप्रीम कोर्ट 31 अगस्त को सुनवाई कर सकता है। लेकिन कोर्ट ने इस मसले को नहीं उठाया। बता दें कि 6 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में जजों की कमेटी ने इस पर कई तरह के सवाल पूछे। मामले की सुनवाई से पहले ही घाटी में इस मुद्दे पर बवाल हुआ।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में कुछ जगह झड़प और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं। आर्टिकल 35A का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील रहा है, यही कारण है कि पिछली सुनवाई के दौरान अलगाववादियों ने घाटी में बंद बुलाया था। पुलिस की ओर से बयान दिया गया है कि इस प्रकार की खबरें फैली थीं कि 35ए हटा दी गई है। जिसके कारण इस तरह की स्थिति पैदा। हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वह किसी तरह की अफवाह पर ध्यान ना दें।
क्या है अनुच्छेद 35ए
14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया। इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 (ए) जोड़ दिया गया। आर्टिकल 35A, धारा 370 का ही हिस्सा है। अनुच्छेद 35 A के मुताबिक जम्मू कश्मीर का नागरिक तभी राज्य का हिस्सा माना जाएगा जब वो वहां पैदा हुआ। कोई भी दूसरा नागरिक जम्मू कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है।