संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होने के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद के ऊपर खालिस्तान का झंडा फहराने का फैसला किया था।
एसएफजे द्वारा संसद भवन पर खालिस्तानी झंडा फहराने पर इनाम घोषित
एसएफजे के प्रवक्ता गुरपतवंत पन्नू ने एक वीडियो संदेश में पंजाब के किसानों से संसद का घेराव करने का आग्रह किया है। उसने संसद भवन पर ‘खालिस्तानी और भगवा झंडे’ फहराने के लिए 1.25 लाख अमरीकी डालर के इनाम की भी घोषणा की।
दिल्ली पुलिस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “ऐसे मौकों (संसद सत्र) में, हम और अधिक सतर्क हो जाते हैं। हम किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए अपनी उपस्थिति और जांच में वृद्धि करते हैं।”
2019 में केंद्र सरकार ने एसएफजे पर लगाया था प्रतिबंध
संसद परिसर और उसके आसपास भारी पुलिस बल देखा जा सकता है। विशेष रूप से, केंद्र ने जुलाई 2019 में एसएफजे पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो अपने अलगाववादी एजेंडे के तहत सिख जनमत संग्रह 2020 के लिए जोर देता है। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे आईएसआई समर्थित संगठन की भारत विरोधी और अलगाववादी योजनाओं की दिशा में पहला कदम बताया था।
इस साल की शुरुआत में भी, एसएफजे ने 26 जनवरी को दिल्ली में प्रतिष्ठित लाल किले के ऊपर झंडा फहराने वाले व्यक्ति को 2.5 लाख अमरीकी डालर देने की घोषणा की थी। उसी दिन कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने वाले हजारों किसानों ने सुरक्षा का उल्लंघन किया था।