राकेश अस्थाना मामले में सना की याचिका पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई से जवाब मांगा  - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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राकेश अस्थाना मामले में सना की याचिका पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई से जवाब मांगा 

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नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने हैदराबाद के व्यवसायी सतीश बाबू सना की याचिका पर सीबीआई से मंगलवार को जवाब मांगा। याचिका में सना ने रिश्वत संबंधी आरोपों में विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से संबंधित एक मामले में अपना पक्ष रखने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने अस्थाना, सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक ए.के शर्मा से भी सना की याचिका पर जवाब मांगा है। सना ने अस्थाना की याचिका में उसे एक पक्ष बनाये जाने का भी अनुरोध किया है। अस्थाना ने एक याचिका दायर करके प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया था। सना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि उनकी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वह जांच में एजेंसी की मदद कर रहे हैं और उन्हें भी सुना जाना चाहिए।

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी और अधिवक्ता आर बेहुरा ने कहा कि सना को पक्षकार बनाये जाने की जरूरत नहीं है। सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार को सना के बयान रिकॉर्ड करने में जालसाजी के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। कुमार, मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े मामले में जांच अधिकारी थे। कुमार को 31 अक्टूबर को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दी थी।

राकेश अस्थाना मामला : अदालत ने बिचौलिए मनोज प्रसाद की जमानत अर्जी ठुकराई

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की कथित संलिप्तता वाले रिश्वतखोरी मामले में गिरफ्तार बिचौलिये मनोज प्रसाद की जमानत याचिका मंगलवार को ठुकरा दी। न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने प्रसाद को यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि उसके खिलाफ लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।

सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी और अधिवक्ता राजदीपा बेहुरा ने जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया कि जांच अभी अहम चरण में है और मनोज प्रसाद का मामला अन्य आरोपियों के मामले से अलग है। इसी पहले भी भी दिल्ली कोर्ट ने बिचौलिये मनोज प्रसाद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश संतोष स्नेही मान ने प्रसाद की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें राहत देने के लिये यह सही स्थिति नहीं है। एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी प्रभावशाली शख्स है और अगर उसे जमानत पर रिहा किया गया तो वह मामले में चल रही जांच को बाधित कर सकता है और फरार हो सकता है।

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