दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ट्रैक भारत के हिमाचल प्रदेश में बनने जा रहा है। रेलवे ने प्रस्तावित किया है कि भारत-चीन सीमा से लगती इसकी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना चाहिए। यह विश्व का सबसे ऊंचा रेल ट्रैक होगा। भारतीय रेलवे बिलासपुर-मनाली-लेह को नेटवर्क से जोड़ने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। नई ब्रॉडगेज लाइन का पहले चरण का फाइनल लोकेशन सर्वे हो गया है। इस सर्वे के तहत नई रेल लाइन पर हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में 30 स्टेशनों को तय कर लिया गया है।
इस लाइन को बनाने में 83,360 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा। जब यह रेल लाइन बनकर तैयार हो जाएगी दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों से गुजरने वाली सबसे ऊंची रेल लाइन होगी। इस योजना के पूरे होने पर भारतीय रेलवे चीन शंघाई-तिब्बत रेलवे को पीछे छोड़ देगा। यह रेलवे हिमाचल के मंडी, मनाली, कुल्लू, केलॉन्ग, टंडी, कोकसर, डच, उपसी और कारु को जोड़ेगा। इस ट्रैक की ऊंचाई समुद्र ताल से 3300 मीटर होगी।
उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर विश्वेश चौबे ने नई ब्रॉडगेज लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, ”परियोजना क्षेत्र की सामरिक जरूरतों सामाजिक आर्थिक विकास और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उनके मुताबिक रेल ट्रैक बनने के बाद बिलासपुर से लेह के बीच में ट्रैवल टाइम 40 घंटे से घटकर 20 घंटे रह जाएगा। यह नई रेल लाइन बिलासपुर और लेह के बीच सुंदर नगर मंडी मनाली, केलांग, कोकसर, दारचा, उपसी और कारू जैसे सभी महत्वपूर्ण स्थानों तथा रास्ते में आने वाले हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर राज्यों के अन्य महत्वपूर्ण शहरों को आपस में जोड़ेगी।”
लेह-लद्दाख को बिलासपुर से जोड़ने वाली ये रेलवे लाइन भानु पल्ली रेलवे स्टेशन से निकलेगी, जो आनंदपुर साहिब से होते हुए गुजरेगी। मालूम हो कि यह रेल ट्रैक जोखिम भरे दुर्गम क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। इस क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी हिमस्खलन भूस्खलन और शून्य से नीचे तापमान जैसी तमाम कठिन चुनौतियां हैं।
उत्तर रेलवे के सीएओ कंस्ट्रक्शन आलोक कुमार के मुताबिक, बिलासपुर और लेह-लद्दाख रेल परियोजना जम्मू एंड कश्मीर रेल परियोजना की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है। उनका कहना है कि फाइनल लोकेशन सर्वे का कार्य रक्षा मंत्रालय एवं उत्तर रेलवे द्वारा शाहजहां करार के तहत 457. 72 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है।
उन्होंने बताया यह कार्य तीन चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में डिजिटल माध्यम से एलिवेशन मॉडल का मूल्यांकन किया जाएगा। दूसरे चरण में सबसे बेहतर अलाइनमेंट का चुनाव और विकास किया जाएगा। तीसरे चरण में भौगोलिक सर्वेक्षण पुलओवर सुरंगों की विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी। पहले चरण का फाइनल लोकेशन सर्वे मार्च 2018 में राइट्स द्वारा पूर्ण कर लिया गया है। इस अध्ययन रिपोर्ट को आईआईटी रुड़की ने सत्यापित किया है फाइनल लोकेशन सर्वे का पूरा कार्य होने में 30 महीनों का समय लगेगा।
गौरतलब है कि बिलासपुर, मनाली और लेह-लद्दाख रेल परियोजना कई मायनों में विशेष है। इस रेल परियोजना में 75 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार की क्षमता वाली 465 किलोमीटर लंबी सिंगल रेल ट्रैक का निर्माण किया जाना है। इस रेल लाइन में 74 सुरंगे बनाई जाएंगी। इस पूरे रेल मार्ग में 26.3 4 प्रतिशत हिस्सा घुमावदार लेंथ का होगा। इसके अलावा पूरे रेल मार्ग में सुरंगों की लंबाई 52 फ़ीसदी होगी।
सबसे लंबी सुरंग 27 किलोमीटर लंबी बनाए जाने की योजना है। पूरे रेल ट्रैक में सुरंगों की कुल लंबाई 244 किलोमीटर होगी इस रेल परियोजना के तहत 124 बड़े पुलों और 396 छोटे पुलों का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के तहत 30 स्टेशन बनाए जाने की संभावना है। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि फाइनल लोकेशन सर्वे के दूसरे और तीसरे चरण के लिए ग्लोबल टेंडर खुल चुके हैं और जल्द ही यह काम किसी न किसी एजेंसी को दे दिया जाएगा।