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भारत में आपदा प्रबंधन का इतिहास बदला : अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) तथा इसकी क्रियान्वयन ऐजेंसी के रूप में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ़) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने बीते 17 वर्षों में देश के आपदा प्रबंधन के इतिहास को बदलने और पूरे देश की संवेदनशीलता को आपदा प्रबंधन के साथ जोड़ने का काम किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) तथा इसकी क्रियान्वयन ऐजेंसी के रूप में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ़) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने बीते 17 वर्षों में देश के आपदा प्रबंधन के इतिहास को बदलने और पूरे देश की संवेदनशीलता को आपदा प्रबंधन के साथ जोड़ने का काम किया है।
श्री शाह ने एनडीएमए के 17 वें स्थापना दिवस ‘हिमालयी क्षेत्र में आपदा घटनाओं का सोपानन प्रभाव’ विषय पर अपने संबोधन में कहा कि ये एक बहुत बड़ उपलब्धि है। एनडीएमए द्वारा शुरू की गईं दो नई पहल – आपदा मित्र और कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल – के बारे में कहा कि आपदा मित्र योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री शाह ने आपदा मित्र योजना की प्रशिक्षण नियमावली और आपदा मित्र एवं सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल के योजना दस्तावेज का विमोचन किया। समारोह में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय समेत अनेक गणमान्य लाग मौजूद थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ देशभर से आपदा प्रबंधन से जुड़ लोग वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
अपने संबोधन में श्री शाह ने सलाह देते हुए कहा कि एनडीएमए को दुनियाभर में आपदा के जोखिम को न्यूनतम करने के लिए हुए शोध या गुड प्रैक्टिस की स्टडी करनी चाहिए। उन्हें हमारे देश की परिस्थितियों तथा चुनौतियों के अनुसार परिवर्तित कर एक कार्यपद्धति में ढालकर लोगों तक ले जाना है।
उन्होंने कहा कि कई प्रयासों और सरकार द्वारा बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद आपदा आते ही एनडीएमए, एनडीआरएफ़ और एसडीआरएफ़ जैसी ऐजेंसियों द्वारा तुरंत कार्रवाई कर पाना मुश्किल है। कितनी भी व्यवस्था करने के बावजूद इतने बड़ देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने में कुछ समय लगना स्वाभाविक है। अगर कुछ ही पलों में आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करनी है तो वो देश की जनता, समाज और गांव-गांव में प्रशिक्षित आपदा मित्र ही कर सकते हैं और ये एक बहुत अच्छा कॉन्सेप्ट है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपदा मित्र के सहयोग से जनता को तैयार करना और जिन लोगों में आपदा के ़खलिफ़ लड़ने, दूसरों के लिए काम करने और अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने का जत्र्बा है, ऐसे लोगों को एकत्रित करके उनका स्किल अपग्रेडेशन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आपदा मित्र का क्रियान्वयन 25 राज्यों के 30 बाढ़ग्रस्त त्रलिं में प्रयोगात्मक रूप में किया गया है। 5500 आपदा मित्रों और आपदा सखियों को बाढ़ से बचाव के लिए तैयार करने का काम किया गया है। तैराकी में माहिर लोगों का चयन किया गया। उन्होंने आपदा मित्रों को बेहतर काम रकने के लिए सरकार और प्रधानमंत्री श्री नरेंद, मोदी की ओर से बधाई दी।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ये प्रयोग अभी बहुत छोटे स्तर पर हुआ है और 130 करोड़ की आबादी वाले देश में 5500 आपदा मित्र और आपदा सखी बहुत छोटी संख्या है। इससे पूरे देश को कवर नहीं किया जा सकता। इसीलिए 350 आपदा प्रभावित त्रलिं में हम आपदा मित्र योजना को लागू करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 17 वर्षों में कई प्रोटोकॉल और एसओपी बनाए गए हैं, इन्हें त्रमीन पर उतारने और आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करने के लिए 350 त्रलिं में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। सभी वॉलंटियर्स और उनके परिवार के मन में आश्वस्तता का भाव पैदा करने के लिए केंद, सरकार ने उनका बीमा करने का बहुत बड़ निर्णय भी लिया है। 28 राज्यों और केन्द, शासित प्रदेशों ने इस योजना के लिए एनडीएमए के साथ एमओयू किया है।

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