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कोरोना वायरस के चलते होली बाजार में देसी सामग्री की धूम, ग्राहकों ने चीनी सामान से बनाई दूरी !

चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण के असर से इस बार रंग और उमंग के त्योहार होली के बाजार की चमक फीकी हो गयी है।

चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण के असर से इस बार रंग और उमंग के त्योहार होली के बाजार की चमक फीकी हो गयी है। 
चीन से फैले कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को लेकर पूरे देश में एहतियात बरती जा रही है, जिसका असर होली बाजार पर भी देखने को मिल रहा है। कोरोना वायरस की वजह से चीन से सप्लाई भी प्रभावित है। साथ ही चाइनीज सामानों से ग्राहक दूरी बना रहे हैं। 
इस बार स्थानीय बाजार से चाइनीज पिचकारी, रंग, अबीर लगभग गायब हैं। हालांकि इस बार की होली फीकी ना हो, इसके लिए भारतीय कंपनियों ने होली के लिए भरपूर उत्पाद बाजार में उतार दिए हैं। हालांकि सप्लाई घटने का असर कीमतों पर देखने को मिल रहा है। 
कोरोना वायरस का असर दुकानदारों के साथ-साथ ग्राहकों की सोच पर भी पड़ा है। दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक चीन से आयातित सामान खरीदने से परहेज कर रहे हैं। चाइनीज सामानों के कम खरीददार मिल रहे हैं। लोगों में भय उत्पन्न हो गया है, जिससे होली में लेने वाले कोई भी सामान की पहले जानकारी लेते हैं। कहीं चाइना से तो सामान नहीं आया है। 
दुकानदारों ने कहा, ‘कोरोना वायरस के कारण हम लोगों ने इस बार चीन का कोई सामान नहीं मंगाया है और खरीददार भी चीन का सामान लेने से कतरा रहे है। लोगों में डर है कि कहीं चीन के सामान से संक्रमण न फैल जाए। हमने इस बार नया स्टॉक नही मंगाया है। 
पिछले साल की बची पिचकारी के खरीददार भी नहीं मिल पा रहे हैं। ग्राहक दुकान पर आते ही सबसे पहले लोकल मेड उत्पाद दिखाने की मांग करते हैं। इस बार ग्राहक भारतीय उत्पाद खरीदने का मूड बनाए हुए हैं।’  
दुकानदारों ने बताया कि इस बार बाजार में देसी सामग्री की धूम है। चीन निर्मित सामग्री पर रोक के चलते इस बार स्थानीय बाजार में देसी सामग्री बिक रही है। इस बार लोग देसी उत्पाद की मांग कर रहे है। रंग, अबीर, गुलाल, पिचकारी, खिलौने और मुखौटे सब भारतीय है। दिल्ली और पटना के अलावा मुजफ्फरपुर में निर्मित सामग्री बिक भी रही है। 
कोरोना वायरस के खौफ का रंगों पर भी असर देखने को मिल रहा है। इस बार गुलाबी रंग और हरे रंग के अलावा कोई और रंग मार्केट में बहुत कम देखने को मिल रहा है। हालांकि बाजार में आकर्षक पिचकारियों का स्टॉक पहुंच गया है। बच्चों के फेवरेट कार्टून पर आधारित सुपरमैन पिचकारी, बाहुबली टैंक, स्टेड गन, लाइट वाली पिचकारी, भीम स्पाइडर मैन, डोरेमोन, मोटू-पतलू, वाटर गन, गुलाल बम, कलर बम, बाटर बैलून, कलर बम जैसे नाम वाली पिचकारियां बाजार में हैं। 
बिहार के मंडी के कारोबारियों ने बताया कि चाइनीज आइटम में खुशबू एवं झाग वाला स्प्रे रंग इस बार नहीं आया है। पुराने स्टॉक को बेचा जा रहा है। पुराने स्प्रे रंग का इस्तेमाल करने से लोग परहेज कर रहे हैं। इस कारण भी ग्राहकों की बाजार से दूरी बनी है। लोग स्थानीय स्तर पर बने रंग को खरीदार तरजीह दे रहे हैं। ग्राहकों का आकर्षण एक बार फिर देसी रंगों के प्रति बढ़ है। 
होली के बाजार में डिजाइनर पिचकारी से लेकर मल्टी कलर के गुब्बारे तथा रंग और कलर स्प्रे चीन से बन कर आते थे। इस बार चीन से इन उत्पादों का आयात नहीं किया जा सका है। इस बार भी त्योहार पर हर्बल गुलाल की मांग देखी जा रही है। केमिकल से बने रंगों से लोग दूरी बना रहे हैं। इसके चलते हर्बल रंग एवं अबीर की मांग बढ़ गई है।
होली के बाजार में बच्चों के लिए बंदूक, पिस्तौल वाली पिचकारी के साथ गुलाब और रंगों की भरमार है। मोदी मास्क, नाक- मूंछ के चश्मे, कपड़ मास्क और रंग खेलने के लिए टी-शर्ट की जबरदस्त मांग हैं। लोग टी-शर्ट भी मोदी के चित्र वाली ही पसंद कर रहे हैं। जबकि चेहरों पर लगाने वाले गोरे-काले, सोना-चांदी, मैजिक कलर, हर्बल कलर, फ्रूट कलर, सोनपरि कलर, टैसू कलर, महाबली, पिच्कू और टयूब कलर भी लोगों की पसंद बने हुए हैं। 
बाजार में इस बार 30 रुपये से लेकर डेढ़ सौ रुपये तक की पिचकारी और 50 से लेकर 200 रुपये तक के मुखौटे उपलब्ध है। इस बार भी होली में मोदी-योगी की धूम है। एक ओर मोदी के मुखौटे खूब बिक रहे है, तो दूसरी ओर मोदी-योगी की साथ-साथ वाली तस्वीर से लैस पिचकारी की भी जबरदस्त डिमांड है। 
पिचकारी विक्रेता ने बताया कि इस बार देसी पिचकारियों की ही अधिक बिक्री हो रही है। कई तरह के मुखौटे, रंग-अबीर, पोटीन की भी बिक्री हो रही है। फिजां में स्वदेशी का रंग भी घुला हुआ है। बाजार में पीतल से लेकर लोहे और टीन तथा प्लास्टिक की परंपरागत पिचकारी भी 50 रुपये से 200 रुपये तक में मौजूद है लेकिन बच्चो की पसंद चाइनीज एके 47 ही बनी हुई है, जिसकी कीमत 300 रुपये और एसएलआर की कीमत 250 रुपये तक है। 
होली को लेकर राजधानी पटना में कपड़ का बाजार भी पूरी तरह सजकर तैयार है। कपड़ की खरीददारी के लिए बाजारों में लोगों की काफी भीड़ उमड़ रही है। शहर के प्रमुख बाजार और मॉल में लोगों की खासी भीड़ देखी जा रही है। शाम को भीड़ और भी बढ़ रही है। 
होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है इसलिए लोग रंग-अबीर ही नहीं बल्कि नए परिधान की भी खरीददारी करते हैं। शहर के प्रमुख बाजार सब्जीबाग, खेतान मार्केट, हथुआ बाजार में गुरुवार को लोगों की खासी भीड़ देखी गयी। शाम को और ज्यादा भीड़ बढ़ जा रही है। बाजार में रेडिमेड कुर्ते पायजामे की मांग ज्यादा है।
बाजार में सिर्फ रेडीमेड ही नहीं बल्कि महिलाएं कपड़ खरीद कर सिलवाने में भी आगे हैं। नए कपड़ का क्रेज महिलाओं और बच्चों के साथ-साथ पुरुषों में भी दिख रहा है। 
आम दिनों के अलावा होली के त्योहार पर भी युवाओं की पसंद फैंसी जींस-शर्ट और टी शर्ट बन गई है। इसमें ब्रांडेड कंपनियों का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ट्राउजर एवं फार्मल शर्ट के अलावा फैंसी कुर्ता और शेरवानी की मांग ज्यादा बढ़ है। युवा वर्ग स्किन टाइट जींस ज्यादा पसंद कर रहा है। खास रंगीन कुर्ते चलन में हैं। 
रेडिमेड कपड़ की खरीद को लेकर मॉल एवं रेडिमेड दुकानों में बच्चों एवं महिलाओं की ज्यादा भीड़ देखी जा रही है। बच्चियों के लिए 200 रुपये से लेकर 700 रुपये तक वाली कैपरी और महिलाओं के लिए कॉटन साड़, कॉटन सूट विशेष रूप से होली के लिए दुकानों में उपलब्ध है। 
रेडिमेड दुकानों में बच्चों के कपड़े की मांग जयादा है। बाजार में पुरुषों और बच्चों के लिए हर तरह के कुर्ते-पायजामे बिक रहे हैं। नए सफेद कुर्ते-पायजामे को लेकर बच्चों के साथ-साथ पुरुषों में भी उत्सकुता दिख रही है। बाजार में ब्रांडेड कंपनियों के कुर्ते-पायजामे की काफी डिमांड है। 
होली के अवसर पर मिठाई की दुकानों पर पकवान भी सजने लगे हैं। सामान्य और मीठी के साथ कैसर वाली गुझियां भी लोगों के मन को भा रही हैं। पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक के गिफ्ट पैक भी बाजार में पहुंच गए हैं। होली पर सामान्य रूप से गुझियों और नमकीन पकवानों का ही चलन है। इसमें नवीनता आई है और बाजार में नमकीन और बिस्किट के आकर्षक पैक भी पहुंच गए हैं।

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