पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज अधिवेशन भवन में सतत् जीविकोपार्जन योजना का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं ग्रामीण विकास विभाग को सतत् जीविकोपार्जन योजना की शुरुआत के लिए बधाई देता हूँ। जीविका समूह के गठन के लिए शुरू से ही काफी प्रयास किये गये। वल्र्ड बैंक से कर्ज लेकर शुरू में छह जिलों एवं 44 प्रखंडों से जीविका की शुरुआत की गयी। शुरुआत में मुजफ्फरपुर में मैंने पदाधिकारियों के साथ भ्रमण किया और स्वयं सहायता समूह से मिलने के दौरान यह महसूस हुआ कि इससे महिलाओं में कितनी जागृति आयी है। इसके बाद पूरे राज्य में इसे विस्तारित किया गया। आज राज्य में 8 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह का गठन हो चुका है, जिसके माध्यम से 96 लाख से ज्यादा महिलायें जुड़ चुकी हैं। 10 लाख स्वयं सहायता समूह के गठन का लक्ष्य है। राज्य में जीविका समूह इतने बेहतर ढंग से काम कर रही हं कि इससे प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने आजीविका नाम से यह योजना शुरू की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी का मानना था कि हम सब ट्रस्टी हैं। मेरा भी मानना है कि सरकार में हम खजाने के ट्रस्टी हैं मालिक नहीं, उसी तरह हम संसाधनों का सदुपयोग राज्य की जनता के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर 2011 से हमलोगों ने मद्य निषेध दिवस मनाना शुरू किया। जो गांव शराबमुक्त होता था, उसे पुरस्कृत किया जाता था। पेंटिंग बनाने वाले बच्चों, नारे लिखने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया जाता था। मद्य निषेध के लिए राज्य सरकार द्वारा अभियान चलाया जाता रहा है, इसके बावजूद शराब की खपत कम नहीं हो रही थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब के दुष्परिणामों को छात्र जीवन से ही जानते थे। जब स्व. कर्पूरी ठाकुर जी की सरकार ने शराबबंदी का निर्णय किया था तो मुझे काफी खुशी हुई थी लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद फिर से शराबबंदी का प्रभाव खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में 9 जुलाई 2015 को महिलाओं के एक कार्यक्रम में कुछ महिलाओं ने शराबबंदी की मांग की। मैंने उनलोगों से कहा अगली बार सरकार में आते ही राज्य में शराबबंदी लागू करेंगे। सरकार बनने के बाद चरणबद्ध तरीके से 1 अप्रैल 2016 से राज्य में शराबबंदी लागू किया गया लेकिन जन समर्थन को देखते हुए 5 अप्रैल 2016 से राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी। 21 जनवरी 2017 को शराबबंदी के पक्ष में 4 करोड़ लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर अपना समर्थन जताया। अभी भी चंद लोग हैं, जो शराब पीने को अपना अधिकार मानते हैं लेकिन शराब पीना और इसका धंधा करना मौलिक अधिकार नहीं है। शराबबंदी समाज सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। समाज सुधार के काम में हम लगे हैं, इसमें हम किसी भी कीमत पर समझौता करने वाले नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के बाद एक-एक पहलू पर हमलोगों ने गौर किया। पेय पदार्थ के रुप में नीरा को प्रोत्साहित किया गया, यह स्वास्थ्यवद्र्धक है। शराबबंदी के लिए अभियान चलाने के साथ-साथ कानून को भी सख्त किया गया है। इसका दुरुपयोग न हो, निर्दोष लोग नहीं फंसें, इसके लिए हाल ही में कानून में कुछ संशोधन किया गया है। देशी शराब एवं ताड़ी के उत्पादन तथा बिक्री में पारंपरिक रुप से कुछ परिवार जुड़े हुए थे। सर्वेक्षण में यह पता चला कि शराबबंदी के बाद इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई और कोई रोजगार इनके पास नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन निर्धन परिवारों के साथ-साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य समुदायों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों की सतत् आजीविका, क्षमता निर्माण एवं वित्तीय सहायता के लिए सतत् जीविकोपार्जन योजना की शुरुआत की गई है। शुरु में प्रयोग के तौर पर पूर्णिया जिला के एक गांव में वैकल्पिक रोजगार के रुप में गाय उपलब्ध कराया गया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। सर्वे कराया जा रहा है कि ऐसे कितने परिवार हैं जो शराब के कार्य में लगे हुए थे और शराबबंदी के बाद उनकी आर्थिक स्थिति खराब हुई है। उन्हें सर्वेक्षण के दौरान प्रेरित किया जा रहा है और वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। यह कोई आसान काम नहीं है, जिसे जीविका दीदियॉ अपनी मेहनत से सफल बनाने में लगी हुई हैं। मुझे खुशी है कि ऐसे चिन्हित परिवारों को आज सामग्री प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी 16 जिलों में सतत् जीविकोपार्जन योजना का क्रियान्वयन प्रारंभ किया गया है। मुझे उम्मीद है कि इस साल के अंत तक पूरे राज्य में यह योजना क्रियान्वित हो जायेगी। अभी मंच से गया जिले की जीविका की रीना दीदी ने विस्तार से बताया कि किस तरह से इस योजना को कार्यान्वित करने के दौरान लोगों के बीच जाकर कठिन परिश्रम करना पड़ रहा है। इस योजना से संबंधित लाभ दिलाने के लिये 35 से 40 परिवारों पर एक मास्टर रिसोर्सेज पर्सन होगा, जो उन्हें सहयोग करेगा। इस योजना के तहत जीविकोपार्जन एवं आय से संबंधित गतिविधियों के लिए लक्षित परिवारों को उद्यम संचालन हेतु प्रशिक्षण दिया जायेगा। वैकल्पिक रोजगार के लिये गव्य, बकरी एवं मुर्गी पालन, कृषि संबंधित गतिविधि, अगरबत्ती निर्माण एवं स्थानीय तौर पर उन्हें जो उपयुक्त लगता हो, उससे उन्हें जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 60 हजार रुपए से 1 लाख रुपए तक की राशि सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। रोजगार शुरु होने तक सरकार एक हजार रुपए की दर से 7 महीने तक उन्हें सहयोग के रुप में राशि उपलब्ध कराएगी ताकि कारोबार शुरु करने में कोई दिक्कत न हो। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीडीएस (जन वितरण प्रणाली) को इतने अच्छे तरीके से चला रही हैं कि सभी लोगों को समय पर पूरा अनाज उपलब्ध हो रहा है।
जीविका समूह की महिलाएं बैंकों से लिए हुए ऋण को समय पर भुगतान कर रही हैं, यह आदर्श की स्थिति को दर्शाता है। ऋण लेकर रोजगार करने वाले लोग, जो समय पर ऋण नहीं लौटाते हैं, उनके लि
ए एक संदेश भी है। मुख्यमंत्री का स्वागत सिक्की आर्ट से निर्मित पुष्प-गुच्छ एवं जीविका दीदियों द्वारा बनायी गयी मधुबनी पेंटिंग भेंटकर किया गया। कार्यक्रम में जीविका समूह गया जिले की रीना दीदी, मोतिहारी की महापति दीदी, पूर्णिया की मुन्नी दीदी ने जीविकोपार्जन योजना के फायदे से जुड़े अनुभव को मंच से साझा किया। कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविन्द कुमार चौधरी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव श्रीमती नीता केजरीवाल, जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बालामुरुगन डी., बिहार महादलित विकास मिशन के कार्यपालक पदाधिकारी गोपाल सिंह, पद्मसुधा वर्गीज, जिलाधिकारी कुमार रवि सहित अन्य वरीय पदाधिकारीगण एवं जीविका की बड़ी संख्या में दीदियां उपस्थित थीं।