केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को सीआईएसएफ के 53वें स्थापना दिवस समारोह में कहा कि, निजी क्षेत्र की विभिन्न औद्योगिक एवं विनिर्माण इकाइयों को प्रभावी सुरक्षा मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार का अर्धसैनिक बल सीआईएसएफ और निजी सुरक्षा एजेंसियां हाथ मिला सकती हैं। शाह ने हाइब्रिड सुरक्षा मॉडल की वकालत करते हुए कहा कि यह अहम है, क्योंकि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जैसी सरकारी सुरक्षा एजेंसियां देशभर में इस काम को अकेले अंजाम नहीं दे सकतीं और वे धीरे-धीरे इसे निजी सुरक्षा एजेंसियों के हवाले कर सकती हैं। गृहमंत्री ने सीआईएसएफ को 25 साल का खाका भी तैयार करने का निर्देश दिया, ताकि भारत जब अपनी आजादी के 100वें वर्ष में प्रवेश करे, तब तक यह एक ‘परिणाम-उन्मुख’ सुरक्षा एजेंसी के रूप में उभर सके।
डीआरडीओ और बीएसएफ के साथ काम करने को कहा
गृहमंत्री ने सीआईएसएफ से निजी सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी लेने पर विचार करने को कहा। उन्होंने सीमाओं और बंदरगाहों के पास स्थित औद्योगिक इकाइयों पर ड्रोन के बढ़ते खतरे के मद्देनजर सीआईएसएफ से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर इस खतरे के खिलाफ एक प्रभावी प्रौद्योगिकी तैयार करने को कहा। कार्यक्रम में सीआईएसएफ के महानिदेशक शील वर्धन सिंह ने कहा कि सीआईएसएफ भारत में निजी सुरक्षा एजेंसियों के प्रशिक्षण और प्रमाणन में बेहद अहम भूमिका निभा सकता है, जो फिलहाल असंगठित तरीके से काम कर रही हैं।
65 नागरिक हवाई अड्डों की सुरक्षा करता है सीआईएसएफ
शाह ने कहा कि सीआईएसएफ हवाई अड्डों और बंदरगाहों के अलावा ड्रोन विरोधी अभियान और समुद्री एवं त्वरित परिवहन प्रणाली में एक ‘विशेष एवं एकीकृत’ सुरक्षा एजेंसी की भूमिका निभाने के लिए तैयार है। लगभग 1.64 लाख सुरक्षाकर्मियों से लैस सीआईएसएफ मौजूदा समय में देश के 65 नागरिक हवाई अड्डों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहा है। सरकारी और निजी क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों की हिफाजत की जिम्मेदारी भी उस पर है। सीआईएसएफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है।