कोरोना संकट के बीच आज से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है, सत्र के पहले दिन केंद्र सरकार का सामना विपक्ष के तीखे सवालों से हुआ। विपक्ष ने लॉकडाउन और कोरोना वायरस को लेकर केंद्र से कई सवाल किए। इन्ही सवालों में से केंद्र से एक सवाल लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत को लेकर किया गया, जिसके जवाब में केंद्र ने कहा कि उनके पास इससे जुड़ा कोई डाटा नहीं।
लोकसभा में सवाल किया गया था कि क्या सरकार इस बात से अवगत है कि घरों को लौटते हुए कई मजदूरों की रास्ते में मौत हो गई और क्या राज्यवार मृतकों की संख्या उपलब्ध है? यह भी पूछा गया कि क्या पीड़ितों को सरकार ने कोई मुआवजा या आर्थिक सहायता दी?
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इसके जवाब में कहा कि मृतकों की संख्या को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कहा कि चूंकि इस तरह का डेटा नहीं जुटाया गया था इसलिए पीड़ितों या उनके परिवारों को मुआवजे का सवाल नहीं उठता। एक अन्य सवाल प्रवासी श्रमिकों को हुई परेशानी का अनुमान लगाने में सरकार की विफलता को लेकर पूछा गया था। इसके अलावा लिखित सवाल में कोरोना संकट के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों की जानकारी मांगी गई।
गौरतलब है की देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कामकाज ठप होने की वजह से प्रवासी मजदूरों की आजीविका खतरे में पड़ गई। जिसके कारन शहरी इलाकों में रह रहे मजदूरों ने अपने स्थानीय आवासों का रुख कर लिया। लेकिन वाहन सेवा ठप होने के चलते प्रवासी पैदल ही घर जाने लगे थे, इस दौरान कई मजदूरों की एक्सीडेंट, भूख-प्यास और तबीयत खराब होने के कारण मरने की खबरें भी आई थी।