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HRD मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय नाम दिया गया था। यह बदलाव वर्ष 1985 में हुआ था। पिछली शिक्षा नीति वर्ष 1986 में बनाई गयी थी और 1992 में उसे संशोधित किया गया था।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किए जाने के फैसले को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी दे दी गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बदलाव को अपनी आधिकारिक स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वीकृति मिलने के बाद अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय औपचारिक रूप से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय बन गया है।
बीते महीने की 29 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलने की बात कही गई। सोमवार रात प्रकाशित गजट अधिसूचना में राष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने को अपनी स्वीकृति प्रदान की। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा गजट अधिसूचना में कहा गया है कि अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्थान पर शिक्षा मंत्रालय लिखा जाएगा।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय नाम दिया गया था। यह बदलाव वर्ष 1985 में हुआ था। पिछली शिक्षा नीति वर्ष 1986 में बनाई गयी थी और 1992 में उसे संशोधित किया गया था। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली शिक्षा में बड़े बदलाव किए गए हैं। स्कूली शिक्षा के लिए एक नई पाठ्यचर्या और शैक्षणिक संरचना की गई है।
इसके तहत छात्रों को चार विभिन्न वर्गों में बांटा में बांटा गया है। पहले वर्ग में 3 से 6 वर्ष वर्ष की आयु के छात्र होंगे जिन्हें प्री-प्राइमरी या प्ले स्कूल से लेकर कक्षा दो तक की शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद कक्षा 2-5 तक का पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। उसके उपरांत कक्षा 5 से 8 और फिर अंत में 4 वर्षों के लिए 9 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कार्यक्रम बनाया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा पाठ्यक्रम लचीलापन पर आधारित होगा, ताकि शिक्षार्थियों को अपने सीखने की गति और कार्यक्रमों को चुनने का अवसर हो। इस तरह जीवन में अपनी प्रतिभा और रूचि के अनुसार वे अपने रास्ते चुन सकेंगे। कला और विज्ञान, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं, आदि के बीच में कोई भेद नहीं होगा।

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