पूरी दुनिया में इस वक्त हाइड्रोजन ट्रेन को लेकर क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। जर्मनी के बाद चीन ने भी इस ट्रेन की शुरुआत कर दी है । चीन की हाइड्रोजन ट्रेन रफ़्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। अब भारत में भी हाइड्रोजन ट्रेन पर तेजी से काम शुरू हो गया है। देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए इंडियन रेलवे जल्द ही हाइड्रोजन ट्रेन चलाने जा रही है। इसके लिए रेलवे ने तमाम तैयारियां भी पूरी कर ली है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी।
हाइड्रोजन ट्रेन में क्या है ख़ास ?
बता दें कि हाइड्रोजन ट्रेनों की शुरुआत सबसे पहले जर्मनी में हुई थी। जर्मनी ने एक साथ 14 हाइड्रोजन ट्रेनों का बेड़ा लांच किया था। इन ट्रेनों की खास बात यह है कि इनमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेनों की छतों पर हाइड्रोजन को स्टोर किया जाता है और ऑक्सीजन से मिलने पर ये H20 यानी पानी बनाता है। इस पूरी प्रक्रिया में बनने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल ट्रेनों को चलाने के लिए किया जाता है। ख़ास बात तो ये है कि इसमें किसी भी प्रकार से इंजन की कोई आवाज नहीं आती है और ना ही कोई प्रदूषण होता है । इन ट्रेनों की माइलेज भी हजार किलोमीटर से ज्यादा है।
अब भारत में भी हाइड्रोजन गैस से चलने वाली ट्रेनों का विकास किया जा रहा है यह ट्रेन पूरी तरह स्वदेशी होगी जिसका डिजाइन भारतीय इंजीनियर तैयार कर रहे हैं। सरकार ने हाइड्रोजन ट्रेन को लेकर एक खास प्लानिंग की है. सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके तहत इन ट्रेनों को 8 हेरिटे्ज रूटों पर चलाया जाएगा। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इन ट्रेनों के चलने से देश ग्रीन एनर्जी की दिशा में और आगे बढ़ेगा।
इन रूट्स पर चलेगी ट्रेन
इस ट्रेन को बिलमोरा वघई, महू पातालपानी, नीलगिरी माउंटेन रेलवे मारवाड़-देवगढ़ मड़रिया, माथेरान हिल, दार्जिलिंग हिमालयन, कालका शिमला और कांगड़ा घाटी पर चलाया जाएगा।
बता दें कि भारत ऐसा करने वाला पहला देश नहीं है। इससे पहले जर्मनी और चीन जर्मनी में इस साल जुलाई में हाइड्रोजन ट्रेन चलाई गई थी। इस ट्रेन की कुल लागत 86 मिलियन डॉलर है। इस ट्रेन से प्रदूषण भी काम होगा। हाइड्रोजन ट्रेन 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से एक बार में 1000 किमी चल सकती है।