प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वह कोई शहंशाह या दंभी शासक नहीं हैं जो लोगों की गर्मजोशी से अप्रभावित रहे और उन्हें लोगों के साथ संवाद करने से ताकत मिलती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह सड़कों पर काफी संख्या में लोगों को उनका अभिनंदन और स्वागत करने के लिये खड़े देखते हैं तब वह अपनी कार में बैठे नहीं रह सकते ।
मोदी ने ‘स्वराज्य’ पत्रिका को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं कोई शहंशाह या दंभी शासक नहीं जो लोगों की गर्मजोशी से अप्रभावित रहे। लोगों के बीच रहने से मुझे ताकत मिलती है।’’
प्रधानमंत्री रोडशो के दौरान उनकी निजी सुरक्षा के बारे में उनके शुभचिंतकों के मन में उत्पन्न आशंकाओं से जुड़े एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मैं यात्रा कर रहा होता हूं, मैं समाज के सभी आयु वर्ग और क्षेत्र के लोगों को सड़कों पर मेरा अभिनंदन और स्वागत करते देखता हूं। तब मैं अपनी कार में बैठा नहीं रह सकता, उनके स्नेह को नजरंदाज नहीं कर सकता। और इसलिये मैं बाहर आ जाता हूं और लोगों से जितना बात कर सकता हूं, करता हूं।’’
उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय ने हाल में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के संबंध में नये दिशानिर्देश तैयार किये थे।
वही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों के महागठबंधन को राष्ट्रहित से नहीं बल्कि खुद के अस्तित्व को बचाने और सत्ता हथियाने का प्रयास करार देते हुए कहा है कि इसमें शामिल हर नेता प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘स्वराज्य’ पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में महा गठबंधन को प्रधानमंत्री की कुर्सी हथियाने की महादौड़ बताया और कहा कि इसमें हर दल का नेता प्रधानमंत्री बनना चाहता है लेकिन गठबंधन का दूसरा सहयोगी उसे पीछे धकेलकर खुद दौड़ जीतना चाहता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं लेकिन तृणमूल कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है। सश्री ममता बनर्जी खुद प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं लेकिन इसमें वाम दलों को दिक्कत है। समाजवादी पार्टी मानती है कि उनका नेता प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा योज्ञ है। महागठबंधन में जनता की खुशहाली पर किसी का ध्यान नहीं है सबका जोर सत्ता हथियाने पर है।
उन्होंने कहा कि जहां तक 1977 और 1989 में महागठबंधन बनने की बात है तब स्थितियां अगल थीं। वर्ष 1977 का महागठबंधन आपातकाल के कारण खतरे में पड़ लोकतंत्र को बचाने के लिए था जबकि 1989 का महागठबंधन देश को झकझोरने वाले बोफोर्स घोटाले के कारण हुए था। इस बार के महागठबंधन के एजेंडा में राष्ट्रहित नहीं बल्कि खुद के अस्तित्व को बचाने, सत्ता हथियाने और मोदी को हटाना है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास उनको हटाने के अलावा और कोई एजेंडा नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश की जनता को यह जानना चाहिए कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस की क्या सोच है। इस पार्टी ने 1998 में पंचमड़ शिवर में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने गठबंधन को गुजरे दौर की राजनीति बाताकर एकल चलो की नीति पर काम करने और एक पार्टी के शासन की इच्छा व्यक्ति की थी। वही कांग्रेस आज सहयोगियों को जुटाने के लिए दर दर भटक रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी विकास और सुशासन के मुद्दों पर चुनाव लड़ती है। हमारी सरकान ने आर्थिक, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, विदेश नीत जैसे सभी मोर्चो पर बहुत अच्छा काम किया है। इसी का परिणाम है कि 2014 के बाद जनता ने देश के विभिन्न हिस्सों में हमें भाजपा को सत्ता सौंपी है और जिस तरह से हम एक के बाद एक राज्य में भाजपा की सरकारें बनती गयी वह ऐतिहासिक है। यह सब देखकर उन्हें पूरा भरोसा है कि देश की जनता फिर उन पर विश्वास करेगी और भाजपा को सत्ता सौंपेगी।
सत्तारूपढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों में असंतोष की बात को दर किनार करते हुए श्री मोदी ने कहा कि राजग 20 दलों का एक खुशहाल और बड़ परिवार है। देश के कई राज्यों में इसकी सरकारें हैं। उन्होंन सवाल किया कि अन्य किस गठबंधन के साथ इतने सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 में यह सवाल उठाया जा रहा था कि मोदी के साथ गठबंधन का कोई दल जुड़गा लेकिन वास्तविकता यह है कि उस समय राजग के साथ 20 से अधिक दल शामिल थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2014 में भाजपा खुद सरकार बना सकती थी लेकिन अकेले चलने की बजाय पार्टी ने राजग के घटक दलों के साथ सरकार बनायी। उन्होंने कहा कि राजग हमारे लिए मजबूरी नहीं है बल्कि परस्पर विश्वास का प्रतीक है। विशाल और विविधताओं से भरा राजग देश के हित में है।
भारत जैसे विशाल देश में क्षेत्रीय आकांक्षाओं का सम्मान मिलना आवश्यक है और राजग इन आंकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बचनबद्ध है।