देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 17 लाख 50 हजार के पार पहुंच गया है। यहां कोरोना मरीजों का दैनिक आंकड़ा 50 हजार से ज्यादा है। ऐसे में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 मरीजों की रजिस्ट्री बनाने की योजना पर विचार कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि आईसीएमआर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स के साथ मिलकर राष्ट्रीय नैदानिक रजिस्ट्री बनाने पर विचार कर रहा है जो अनुसंधानकर्ताओं और नीति निर्माताओं को कोविड-19 के रोगियों के इलाज के लिए जांच उपचारों की प्रभावशीलता, प्रतिकूल प्रभावों को समझने और इलाज में सुधार लाने के लिए साक्ष्य उत्पन्न करने में मदद करेगी।
अधिकारियों ने कहा, “इसका लक्ष्य अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों का आंकड़ा एकत्र करना है, जिनमें नैदानिक और प्रयोगशाला संबंधी विशेषताएं, उनकी जनसांख्यिकी, अन्य गंभीर बीमारियां, इलाज के नतीजे, सभी आयु वर्ग में जटिलताएं आदि शामिल हैं।”
उन्होंने कहा कि सार्स-सीओवी-2 और इसके कारण होने वाली बीमारी के इतने अज्ञात मापदंड हैं जो इसकी उचित समझ और बीमारी के प्रबंधन में एक बाधा हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘देश के विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करते हुए व्यवस्थित ढंग से एकत्र किया गया समग्र आंकड़े अनसंधानकर्ताओं और नीति निर्माताओं को प्रासंगिक परिकल्पना बनाने में, कोविड-19 की अहम समझदारी विकसित करने, वैश्विक महामारी के आगे बढ़ने की प्रवित्तियों का पता लगाने तथा उसी अनुरूप प्रतिक्रिया को जांचने में मदद करेगा।’’
इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित 15 संस्थान अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के साथ जुड़ेंगे। इनमें चंडीगढ़ का पीजीआईएमईआर, एम्स दिल्ली, एम्स जोधपुर, बेंगलुरु का निमहंस और पुणे का आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि ये 15 संस्थान रजिस्ट्री स्थल होंगे और करीब 100 कोविड-19 अस्पतालों को परामर्श देंगे जिन्हें सेटेलाइट केंद्र कहा जाएगा जहां से आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। यह प्रस्ताव स्वीकृति के लिए आईसीएमआर के मानव अनुसंधान पर केंद्रीय आचार समिति को भेज दिया गया है।