उन्होंने कहा, "पिछले वित्तीय वर्ष में हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है और रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 16,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। बहुत जल्द, मैं कह पाऊंगा कि हमारा निर्यात 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि पहले पिछली सरकारों में रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार की शिकायतें आती थीं। आजादी के समय से ही रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार और पक्षपात की शिकायतें आती रही हैं। आपने कहावत तो सुनी होगी कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। ऐसे लोगों के भ्रष्टाचार और कदाचार के कारण लोगों का संस्थानों से विश्वास उठने लगा।" जिसे एक लोकतांत्रिक देश में बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।