नयी दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के छात्रों ने लोगों को मच्छरों और र्बैक्टीरिया से निजात दिलाने की एक अनोखी मशीन बनाई है जिसमें जाकर मच्छर कैद हो जाते हैं। आईआईटी मद्रास के छात्रों ने तकनीकी शिक्षा में नवाचार कार्यक्रम के तहत यह मशीन बनाई है जिससे मच्छरों को पकड़ा जा सकता है। यह विश्व की अपनी तरह की पहली मशीन है और इसका नाम बोगोर्चिट है। इस मशीन को सात सदस्यीय टीम ने बनाया है। अभी तक लोग गुड नाईट या ऑल ऑउट जैसे उपकरणों या कछुआ छाप अगरबती जला कर मच्छरों को भगाते हैं लेकिन इस अनोखे उपकरण को जलाने पर मच्छर इसमें जाकर कैद हो जाएंगे। आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क में तैयार इस मशीन को अभी बाजार में उतारा नहीं गया है लेकिन ऑर्डर पर यह बनायी जा रही हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गत दिनों इस रिसर्च पार्क के दौरे के दौरान इस मशीन का अवलोकन किया तथा उसमें विशेष दिलचस्पी दिखाई और इस उत्पाद के बारे में पूछताछ की तथा छात्रों को इसके लिए बधाई भी दी। श्री जावड़ेकर ने जब वहां एक समारोह को संबोधित किया तो उन्हें यह मशीन उपहार स्वरुप भेंट भी की गयी। इस मशीन की कीमत दो हजार रुपए है और इसके साथ इसमें उपयोग होने वाले चार रिफिल मुफ्त मिलेंगे जो एक साल तक चलेगें। यह मशीन बिजली से चलती है और दो घंटे जलने पर यह धीरे धीरे आसपास के मच्छरों को पकड़ लेती है। इस मशीन की खासियत यह है कि इसमें प्रयुक्त होने वाला रिफिल जहरीला नहीं है। इसमें से निकलने वाली तरंगों से आकर्षित होकर ये मच्छर इसमें लगे एक नेट यानी जाली में फंस जाते हैं और उनके एंटीना टूट कर गिर जाते हैं। इसके कारण मच्छर उड़ नहीं पाते। जाली के ढक्कन को हटा कर इन मच्छरों को सा़फ कर दिया जा सकता है।
इस प्रोजेक्ट के प्रभारी हेमचन्द्र ने बताया कि यह मशीन बैक्टीरिया रोधी भी है। इसमें पकडे गए मच्छरों की जांच कर पता लगाया जा सकता है कि ये डेंगू, चिकनगुनिया, जिका और मलेरिया के मच्छर हैं या नहीं। इस मशीन से मच्छर इतने निष्क्रिय हो जाते हैं कि वे न तो उड़ पाते हैं और न लोगों को काटने की स्थिति में होते हैं। उन्होंने बताया कि वे जल्द ही इसे बाजार के लिए लांच करेंगे और इसकी मार्केटिंग करेंगे ताकि लोगों को पता चल सके और उन्हें हर शहर में इसकी मिल सके।
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