देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं किया जाएगा, इस संबंध में सुरक्षा एजेंसियां काफी मुस्तैद रहती है। लेकिन इसके परे एक खतरा और भी है और वो है देश के भीतर अवैध रोहिंग्या प्रवासी का मुद्दा। इस संबंध में केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि अवैध रोहिंग्या प्रवासी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं और इस तरह की खबरें हैं कि उनमें से कुछ गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य रितेश पांडेय के प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, ‘‘अवैध प्रवासी (रोहिंग्या समेत) राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। कुछ रोहिंग्या प्रवासियों के गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहने की खबरें हैं।’’
राय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल कर अनुरोध किया गया है कि रोहिंग्या लोगों को भारत से निर्वासित नहीं किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। हालांकि अदालत ने रोहिंग्या के निर्वासन पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है।’’
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य रितेश पांडेय के प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, ‘‘अवैध प्रवासी (रोहिंग्या समेत) राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। कुछ रोहिंग्या प्रवासियों के गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहने की खबरें हैं।’’
राय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल कर अनुरोध किया गया है कि रोहिंग्या लोगों को भारत से निर्वासित नहीं किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। हालांकि अदालत ने रोहिंग्या के निर्वासन पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है।’’
इससे पहले भी गृह राज्य मंत्री ने कई बार यह मुद्दा उठाया है। पिछले साल संसद में उन्होंने कहा था कि अवैध घुसपैठिए बिना किसी दस्तावेज के भारत में प्रवेश करते हैं, इसलिए इनकी संख्या का कोई रिकार्ड नहीं है। 2019 में भी नित्यानंद राय ने रोहिंग्या की संख्या के बारे में कोई रिकार्ड नहीं होने की बात कही थी।
उन्होंने लोकसभा में किये गए सवाल के जवाब में कहा था कि चूंकि अवैध प्रवासी देश में वैध यात्रा बगैर दस्तावेजों के करते हैं इसलिए इनके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। बता दें कि म्यांमार सरकार ने 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाया था जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया था. जिसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती आ रही है।
उन्होंने लोकसभा में किये गए सवाल के जवाब में कहा था कि चूंकि अवैध प्रवासी देश में वैध यात्रा बगैर दस्तावेजों के करते हैं इसलिए इनके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। बता दें कि म्यांमार सरकार ने 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाया था जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया था. जिसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती आ रही है।