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IMA ने चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए मोदी से हस्तक्षेप की मांग की

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने चिकित्सकीय पेशेवरों को हिंसा से बचाने के लिए एक केंद्रीय कानून लाने के वास्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है।

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने चिकित्सकीय पेशेवरों को हिंसा से बचाने के लिए एक केंद्रीय कानून लाने के वास्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है। 
इस संबंध में एक मसौदा विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है क्योंकि गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अलग से विधेयक की जरूरत को खारिज कर दिया है। 
पूरे देश में चिकित्सकीय पेशेवरों के खिलाफ हिंसा और चिकित्सा प्रतिष्ठानों की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए एक व्यापक केंद्रीय कानून की मांग बढ़ी है। 
चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के खिलाफ हिंसा पर रोक लगाने के लिए विधेयक का मसौदा स्वास्थ्य मंत्रालय ने तैयार किया था और इसे संसद के हाल में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया जाना था, लेकिन गृह मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया। 
स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान) विधेयक 2019 में ड्यूटी पर रहने वाले चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों पर हमला करने वालों को दंड देने का प्रावधान है। इसमें ऐसे व्यक्तियों को 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। 
आईएमए ने कहा, “यह विश्वसनीय ढंग से समझा जाता है कि गृह मंत्रालय ने केंद्रीय कानून के मसौदे को रद्द कर दिया है और अस्वीकार्य रुख अपनाया कि किसी भी पेशेवर को विशेष व्यवहार नहीं मिलेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे कानून की जरूरत को माना था और संसद में भरोसा भी दिया था।’’ 
इसमें कहा गया, ‘‘मसौदा विधेयक सार्वजनिक पटल में है, इसलिए देश के चिकित्सकीय पेशेवरों को उम्मीद थी कि यह कानून बनने वाला है। आईएमए उम्मीद करता है कि सरकार इस संबंध में अपनी बात से पीछे नहीं हटेगी।’’ 
संघ ने कहा, ‘‘आईएमए प्रधानमंत्री से अपील करता है कि इस संबंध में एक अनुकूल निर्णय करें, जिससे चिकित्सकों और अस्पतालों के खिलाफ हिंसा को लेकर एक मजबूत संदेश जाए। अन्यथा, आईएमए के पास इस अन्याय के खिलाफ आक्रामक रूप से संघर्ष करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होगा।’’ 
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कानून मंत्रालय ने मसौदा विधेयक को मंजूरी दी थी, लेकिन इस पर अंतर-मंत्रालयी परामर्श के दौरान गृह मंत्रालय ने कहा कि किसी विशेष पेशे के सदस्यों की सुरक्षा के लिए अलग से कानून नहीं हो सकता। 

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