लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस बैठक में मौजूद माकपा नेता और पार्टी के महासचिव सीताराम यचुरी ने कहा क्या क्या मौजूदा सरकार चीन से हाल ही में हुए टकराव में खुफिया जानकारी नहीं मिल पाने के संबंध में पड़ताल के लिए इसी तरह की समिति बनाएगी? येचुरी ने करगिल युद्ध के दौरान खामियों की जांच करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी द्वारा समिति के गठन की याद दिलाते हुए यह सवाल किया।
रणनीतिक मामलों के विश्लेषक के सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में करगिल समिति को जिले में पाकिस्तान के हमलों से संबंधित घटनाक्रम की समीक्षा करने और इस तरह के सशस्त्र हमलों से देश की सुरक्षा करने के लिए जरूरी कदम सुझाने का काम सौंपा गया था। येचुरी ने ट्वीट किया, ‘‘क्या हमारे सैनिकों की जान बचाई जा सकती थी? खामियों, खुफिया नाकामियों आदि पर अनेक सवाल उठे हैं। करगिल के बाद वाजपेयी सरकार ने खामियों का पता लगाने तथा सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए सुझाव देने के लिहाज से के सुब्रमण्यम समिति बनाई थी। क्या इस तरह का कोई विचार है?’’ उन्होंने यह भी कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का स्पष्ट निर्धारण होना चाहिए ताकि सीमा पर अमन-चैन बना रहे।
सूत्रों ने बताया कि वाम नेता ने सरकार से 1954 के पंचशील समझौते में अंकित पांच सिद्धांतों का पालन करने की भी जरूरत बताई। एक सूत्र के अनुसार येचुरी ने बैठक में कहा, ‘‘सरकार को चीन के साथ उच्चस्तरीय वार्ता करनी चाहिए ताकि एलएसी के स्पष्ट निर्धारण समेत जरूरी कदम उठाये जा सकें और सीमा पर अमन-चैन बनाकर रखा जा सके।’’ गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़पों में शहीद हुए जवानों के प्रति शोक-संवेदना प्रकट करते हुए येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी दोनों देशों के बीच तनाव नहीं बढ़ने देने के लिहाज से लिए गए फैसलों पर सरकार के साथ है।