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चुनाव के समय फेसबुक का दुरुपयोग रोकने की अक्षमता पर कंपनी के अधिकारियों से संसदीय समिति ने की पूछताछ

सोशल या ऑनलाइन मीडिया मंचों पर नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के मामले को देख रही संसद की एक समिति ने बुधवार को फेसबुक के अधिकारियों के सामने चुनाव

सोशल या ऑनलाइन मीडिया मंचों पर नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के मामले को देख रही संसद की एक समिति ने बुधवार को फेसबुक के अधिकारियों के सामने चुनाव के दौरान उनके मंच के दुरुपयोग को रोकने में उसकी कथित अक्षमताओं को रखते हुए उनसे संबंधित चिंताओं पर लिखित में जवाब देने को कहा है।

जानकार सूत्रों के अनुसार भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति फेसबुक के उपाध्यक्ष और वैश्विक जनसम्पर्क नीति के प्रभारी जोएल काप्लान से कड़े सवाल किए। सूत्रों ने कहा कि काप्लान ने अपने आतंकवाद और हाल के पुलवामा हमले पर इस कंपनी के कर्मचारियों की ओर से की गयी कुछ ट्वीट और सार्वजनिक टिप्पणियों को लेकर माफी मांगी ।

सूत्रों ने बताया कि बैठक के ठाकुर ने पुलवामा आतंकी हमले और आतंकवाद पर फेसबुक के कुछ कर्मचारियों द्वारा की गयी टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया जिस पर कैपलन ने माफी भी मांगी।

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सूत्रों ने बताया कि चुनाव के दौरान मंच के दुरुपयोग और सक्रिय तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की मदद करने में फेसबुक की अक्षमता पर समिति ने गहरी चिंता व्यक्त की।

संसद की एक समिति ने इंटरनेट पर सामाजिक संपर्क का मंच उपलब्ध कराने वाली अमेरिकी कंपनी फेसबुक की भारत में चुनावों के दौरान इस मंच का दुरुपयोग रोकने की क्षमता को लेकर चिंता जताई है।

सूत्रों ने बताया कि फेसबुक ने यह आश्वासन दिया है कि वह चुनाव के समय अपने मंच पर विज्ञापन देने वालों की पहचान, उनका स्थान और उसका भुगतान करने वालों की पहचान एक अलग वेब पृष्ठ पर उपलब्ध करायी जाएगी जिसे उपयोगकर्ता देख सकेंगे।

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सूत्रों ने कहा कि फेसबुक की ओर से समिति को बताया गया कि वह एक ‘हाईब्रिड कंपनी’ (मिले जुले क्षेत्र की कंपनी) है । उसके अधिकारी यह नहीं बता सकते कि भारत में उनके नेटवर्क की सामग्री, विज्ञापन और विपणन कार्यों पर कौन सी विनियामक व्यवस्था लागू होती है। कंपनी ने यह भी कहा कि यह जरूरी नहीं है कि नेटवर्क सामग्री को सामान्य बनाने के बारे में उसका निर्णय हमेशा सही ही हो।

सूत्रों में से एक ने कहा कि समिति के सदस्यों को लगता है कि फेसबुक ने चाहे पिछली गलतियों के लिए कोई भी माफी क्यों न मांगी हो पर वह अब भी नहीं चाहती कि उसकी समुचित तरीके से जांच हो और वह पारदर्शी रहे। समिति के करीब करीब सभी सदस्य इस बात को मानने को राजी नहीं दिखे कि फेसबुक के कर्मचारी निष्पक्ष आचरण कर रहे हैं।

संसद की इस 31 सदस्यीय समिति की यह बैठक समाचार और सामाजिक संपर्क के डिजिटल मंचों पर जनता के अधिकारों की रक्षा के बारे में फेसबुक और उससे सम्बद्ध व्हाट्सएप और इंस्ट्रागम जैसी इकाइयों की राय जानने को बुलाई गयी थी।

जानकार सूत्रों के अनुसार संसदीय समिति के सदस्यों ने फेसबुक के अधिकारियों के समक्ष ब्रिटेन की संसद की ‘डिसइन्फार्मेशन एंड फेक न्यूज’ (गलत सूचना और मनगढंत समाचार) शीर्षक रपट का उल्लेख किया । इसमें कहा गया है कि फेसबुक का प्रबंधकीय ढांच अस्पष्ट रखा गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह खास फैसलों की जानकारी और जवाबदेही को छुपाने के लिए है। समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने यह बात भी रखी कि ब्रिटेन की इस रपट में यह भी उजागर किया गया है कि फेसबुक ने इंटरनेट पर निजी सूचनाओं की निजता को बनाए रखने के नियम कड़े करने के खिलाफ भारत सहित दुनियाभर में संपर्क अभियान चलाया है।

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